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रेशम किसानों और बुनकरों को सरकार का समर्थन, जाने इसके उपयोग

रेशम उद्योग
रेशम उद्योग

भारत सरकार द्वारा "सिल्क समग्र-2" योजना के माध्यम से देश में रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने और किसानों व बुनकरों की आजीविका सशक्त करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। इस योजना के तहत अब तक ₹1,074.94 करोड़ की सहायता राज्य सरकारों को प्रदान की जा चुकी है, जिससे लगभग 78,000 लाभार्थी सीधे लाभान्वित हुए हैं। यह सहायता योजना के तहत विभिन्न लाभार्थी-केंद्रित घटकों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए दी गई है।

इसके अलावा, राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम और कच्चा माल आपूर्ति योजना के अंतर्गत हथकरघा श्रमिकों, विशेष रूप से रेशम हथकरघा श्रमिकों को सहायता प्रदान की जा रही है।

आत्मनिर्भर भारत की ओर रेशम उद्योग Silk industry towards self-reliant India:

सरकार "सिल्क समग्र-2" योजना के माध्यम से रेशम क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ाने पर जोर दे रही है। इस योजना के तहत अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता वाले बिवोल्टिन रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने और रेशम निर्यात को बढ़ाने के लिए विभिन्न पहल की जा रही हैं। सरकार का लक्ष्य भारत को रेशम उत्पादन और निर्यात में वैश्विक नेता बनाना है। इसके लिए उत्पादन बढ़ाने, गुणवत्ता सुधार, बुनियादी ढांचे के विकास, अनुसंधान एवं नवाचार, और बाजार विस्तार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

रेशम के उपयोग uses of silk:

मनुष्य अनादि काल से प्राकृतिक कपड़ों को पसंद करता आया है। यह मुलायम, चिकना, चमकदार होता है और कपड़ा रेशों में एक प्रतिष्ठित स्थान रखता है और इसे ' वस्त्रों की रानी ' के रूप में जाना जाता है। कच्चे रेशम का उपयोग शर्ट, सूट, टाई, ब्लाउज अधोवस्त्र, पायजामा, जैकेट जैसे कपड़ों के लिए किया जाता है। मूगा रेशमी कपड़े का उपयोग असमिया महिलाओं द्वारा मेखला, रिहा-सदोर साड़ियों के रूप में बड़े पैमाने पर किया जाता है। हाथ से काते गए शहतूत रेशम का उपयोग कम्फ़र्टर और स्लीपिंग बैग बनाने के लिए किया जाता है।

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