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सिरसा जिले के किसान ज्यादा रकबे में करेंगे धान की सीधी बुवाई, जिसमें 85000 एकड़ का लक्ष्य रखा गया है। हरियाणा में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा 3.02 लाख एकड़ में धानी की सीधी बुवाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। करनाल में 30000 एकड़, तथा फतेहाबार और हिसार में 25000 एकड़ व कुरूक्षेत्र में 22000 एकड़ में डीएसआार तकनीकि द्वारा धान की सीधी बुवाई की जायेगी। अच्छी खबर यह है कि 4000 रूपये प्रति एकड़ किसानों को प्रात्साहन राशि दी जायेगी। इसलिये विभाग ने 120 करोड़ रूपये का बजट जारी किया है। इसके लिये पात्र किसानों को विभाग द्वारा मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर 10 जुलाई तक पंजीयन करवाना होगा।
इस स्कीम के माध्यम से कृषि विभाग धान की रोपाई करने वाले किसानों को डीएसआर तकनीक से धान की खेती करने की ओर लेकर चल रहा है घटते जल स्तर को ध्यान हुए डीएसआर विधि बेहतर तकनीक माना जा रहा है। किसानों ने 15 जून से धान की रोपाई शुरू कर दी है। डीएसआर तकनीक में नर्सरी या प्रतिरोपण करने की जरूरत नहीं होती है। इसमें मैन्युअली या मशीनों के माघ्यम से धान को सीधे मिट्टी में रोपा जाता है। डीएसआर विधि कई वर्षों से प्रचलन में है। इसमें पाया गया है कि 47 फीसदी से अधिक छोटे और सीमांत किसान जिन्होंने डीएसआर विधि का उपयोग किया, उन्हें अधिक उपज प्राप्त हुई है, सामान्य रोपाई की तुलना में। इस विधि से किसान को लगभग 10 से 12 हजार रुपये की बचत के साथ बिजाई करने पर 30% पानी की बचत होती है और पैदावार भी अधिक होती है।
जानकारी के अनुसार धान की हाथ से बीज छिड़काव कर बिजाई करने वालों को भी इस स्कीम का लाभ मिलेगा। इस योजना के तहत जिले में कृषि विभाग को 15 हजार एकड़ भूमि में धान की सीधी बिजाई करने का इस बार लक्ष्य मिला है। इस योजना के तहत आमतौर पर 25 मई से 15 जून तक सीधी बिजाई की जाती है। पात्र किसानों को ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ स्कीम के तहत लाभ दिया जाना है। धान की सीधी बिजाई करने पर सरकार और कृषि विभाग 4000 पर प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि के रूप में अनुदान दे रही है। कृषि विभाग के सहायक पौध संरक्षण अधिकारी डा. सतीश कुमार ने बताया कि उनके पास जिले में 15 हजार एकड़ में डीएसआर विधि से धान की बिजाई करने का लक्ष्य मिला है। डा. सतीश ने कहा है कि पूरी जांच-पड़ताल के बाद पात्र किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जाएगी।
कृषि अधिकारी ने बताया कि धान की खेती में सबसे ज्यादा पानी की खपत होती है, क्योंकि किसान परंपरागत तरीके से धान की खेती करते आ रहे हैं। लेकिन किसान डीएसआर विधि से धान की बिजाई करता है तो उसमें 30-35% पानी की बचत होती है। इस विधि से बीजाई करने पर समय की बचत और मजदूरी इत्यादि की भी आवश्यकता नहीं होती है।