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सरकार ने रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी हालिया भू-राजनीतिक परिस्थितियों के बावजूद किसानों को उर्वरकों की सुलभ और किफायती दरों पर उपलब्धता सुनिश्चित की है। इसके लिए रबी 2021-22, फिर खरीफ 2022, रबी 2022-23 और खरीफ एवं रबी 2024 के दौरान न्यूट्रिएंट बेस्ड सब्सिडी (NBS) दरों से ऊपर विशेष/अतिरिक्त पैकेज प्रदान किए गए।
यूरिया किसानों को सरकारी अधिसूचित अधिकतम खुदरा मूल्य पर उपलब्ध कराया जाता है, चाहे उत्पादन लागत कितनी भी हो। 45 किलो के एक बैग यूरिया का सब्सिडी युक्त एमआरपी 242 रुपये है। यूरिया निर्माता को फार्म गेट तक यूरिया की आपूर्ति की लागत और उनकी शुद्ध बाजार प्राप्ति के बीच का अंतर सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में दिया जाता है। इस प्रकार सभी किसानों को यूरिया सब्सिडी युक्त दरों पर उपलब्ध कराया जाता है।
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फॉस्फोरस और पोटैशियम उर्वरकों के लिए सरकार ने 1 अप्रैल 2010 से न्यूट्रिएंट बेस्ड सब्सिडी नीति लागू की है। इसके तहत उर्वरकों में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम और सल्फर की मात्रा के आधार पर तय सब्सिडी दी जाती है। सरकार अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरकों और कच्चे माल की कीमतों पर नजर रखती है और NBS दरें वार्षिक/अर्धवार्षिक आधार पर तय करते समय उतार-चढ़ाव को समाहित करती है।
बाजार में स्थिरता के लिए विशेष सरकारी पैकेज: सरकार ने बाजार में स्थिरता बनाए रखने के लिए NBS दरों से ऊपर विशेष पैकेज उपलब्ध कराए ताकि उर्वरकों की अधिकतम खुदरा कीमतें (MRP) स्थिर रहें। रबी 2021-22 से लेकर खरीफ और रबी 2024 तक सरकार ने इन विशेष पैकेजों की व्यवस्था की है।
संसाधन संपन्न देशों से दीर्घकालिक समझौते: सरकार उर्वरक आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए संसाधन संपन्न देशों के साथ दीर्घकालिक समझौतों को बढ़ावा देती है। इसके तहत भारतीय उर्वरक कंपनियां उन देशों के आपूर्तिकर्ताओं के साथ उर्वरक, मध्यवर्ती उत्पाद और कच्चे माल की आपूर्ति के लिए समझौते करती हैं।
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