• होम
  • जैविक खेती को बढ़ावा: किसानों के लिए सरकार की नई योजनाएं और...

जैविक खेती को बढ़ावा: किसानों के लिए सरकार की नई योजनाएं और सब्सिडी की पूरी जानकारी

जैविक खेती
जैविक खेती

सरकार सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) के तहत जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। वहीं, पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन (MOVCDNER) भी लागू किया गया है। ये दोनों योजनाएं किसानों को उत्पादन से लेकर कटाई के बाद प्रबंधन, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण तक संपूर्ण सहायता प्रदान करने पर केंद्रित हैं। इनका मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित, जलवायु अनुकूल और स्थायी कृषि प्रणाली को बढ़ावा देना है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहे, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण हो, खेत में पोषक तत्वों की पुनर्चक्रण प्रणाली विकसित हो और किसानों की बाहरी इनपुट पर निर्भरता कम की जा सके।

देश में जैविक खेती का विस्तार Expansion of organic farming in the country:

वित्त वर्ष 2015-16 से अब तक कुल 59.74 लाख हेक्टेयर भूमि को जैविक खेती के अंतर्गत लाया जा चुका है। राज्यों के अनुसार, जैविक खेती के तहत कवर किए गए क्षेत्र का विवरण राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (NPOP) और PKVY के तहत भागीदारी गारंटी प्रणाली (PGS) में दर्ज है।

किसानों को वित्तीय सहायता और लाभ Financial Assistance and Benefits to Farmers:

PKVY योजना के तहत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को तीन वर्षों में प्रति हेक्टेयर कुल ₹31,500 की वित्तीय सहायता दी जाती है। इसमें:

  1. ₹15,000/हेक्टेयर किसानों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से जैविक इनपुट के लिए दिए जाते हैं।
  2.  ₹4,500/हेक्टेयर विपणन, पैकेजिंग, ब्रांडिंग और मूल्य संवर्धन के लिए।
  3. ₹3,000/हेक्टेयर जैविक प्रमाणन और अवशेष विश्लेषण के लिए।
  4. ₹9,000/हेक्टेयर प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए।

MOVCDNER योजना के तहत, किसानों को तीन वर्षों में प्रति हेक्टेयर कुल ₹46,500 की सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें:

  1. ₹32,500/हेक्टेयर जैविक इनपुट (ऑन-फार्म और ऑफ-फार्म) के लिए, जिसमें से ₹15,000/हेक्टेयर सीधे DBT के माध्यम से किसानों को दिए जाते हैं।

किसान इन योजनाओं के तहत अधिकतम 2 हेक्टेयर भूमि पर सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

जैविक उत्पादों के लिए प्रमाणन प्रणाली:

कृषि उत्पादों की गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए दो प्रकार की प्रमाणन प्रणाली विकसित की गई है:

  1. तीसरे पक्ष प्रमाणन (Third-Party Certification) – यह वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (NPOP) द्वारा किया जाता है, जिससे निर्यात बाजार को विकसित किया जा सके।
  2. PGS-इंडिया प्रमाणन – यह कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत संचालित होता है, जिसमें किसान एक-दूसरे की खेती के तरीके का मूल्यांकन, निरीक्षण और सत्यापन करते हैं।

बाजार उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पहल:

किसानों के जैविक उत्पादों को बेहतर बाजार उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकारें विभिन्न प्रदर्शनियों, व्यापार मेलों, जैविक महोत्सवों, कार्यशालाओं, संगोष्ठियों, खरीदार-विक्रेता बैठकों और सम्मेलनों का आयोजन करती हैं। इससे किसानों को अपने जैविक उत्पादों को अधिक मूल्य पर बेचने और अपनी आय बढ़ाने का अवसर मिलता है। इस प्रकार, जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार व्यापक योजनाएं लागू कर रही है, जिससे किसान जैविक खेती को अपनाकर अधिक लाभ अर्जित कर सकते हैं।

khetivyapar.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण जानकारी WhatsApp चैनल से जुड़ें