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खेतों में फसल अवशेष (नरवाई) जलाने पर प्रतिबंध, उल्लंघन पर होगी सख्त कार्रवाई

फसल अवशेष जलाने पर लगेगा भारी जुर्माना
फसल अवशेष जलाने पर लगेगा भारी जुर्माना

पराली जलाने की घटना दिन प्रतिदिन बढती जा रही है, पर्यावरण संरक्षण और जनस्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के निर्देशानुसार प्रदेश में फसल कटाई के बाद खेतों में फसल अवशेष (नरवाई) जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। विशेष रूप से धान और गेहूं की फसल के अवशेष जलाने को लेकर सख्त नियम बनाए गए हैं। इस नियम का उल्लंघन करने पर संबंधित किसानों और निकायों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

नरवाई जलाने पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क (दंड) का प्रावधान:

पर्यावरण विभाग ने फसल अवशेष जलाने पर आर्थिक दंड लगाने का आदेश जारी किया है। इसके तहत –2 एकड़ तक की भूमि वाले किसानों को 2,500 रुपये प्रति घटना दंड, 2 से 5 एकड़ तक की भूमि वाले किसानों को 5,000 रुपये प्रति घटना दंड और 5 एकड़ से अधिक भूमि वाले किसानों को 15,000 रुपये प्रति घटना दंड का प्रावधान है।

कार्रवाई की प्रक्रिया:

  1. नरवाई जलाने की पुष्टि के बाद उप संचालक कृषि संबंधित किसान/निकाय को सूचना-पत्र जारी करेंगे।
  2. ग्राम स्तर पर कृषि विस्तार अधिकारी, हल्का पटवारी एवं पंचायत सचिव समन्वय बनाकर सूचना-पत्र तामिल कराएंगे।
  3. गंभीर मामलों में पुलिस बल की सहायता भी ली जा सकती है।
  4. सूचना-पत्र प्राप्त होने के बाद किसान को निर्धारित पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क चालान के माध्यम से ट्रेजरी में जमा करना होगा।
  5. चालान की प्रति कृषि विभाग को प्रस्तुत करनी होगी।

निगरानी एवं क्रियान्वयन: भारत सरकार की संस्था ICAR-CREAMS सैटेलाइट तकनीक के माध्यम से देशभर में फसल अवशेष जलाने की निगरानी कर रही है। जिला प्रशासन और कृषि विभाग की जिम्मेदारी होगी कि नरवाई जलाने से रोकने के लिए किसानों को जागरूक करें और वैकल्पिक समाधान प्रदान करें। सभी किसानों से अपील है कि फसल अवशेष प्रबंधन के टिकाऊ तरीकों को अपनाएं और पर्यावरण को सुरक्षित रखें।

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