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टमाटर की कीमतों में अभूतपूर्व उछाल के मद्देनजर सरकार कीमतों में कमी सुनिश्चित करने के लिए सकारात्मक कदम उठाने की पहल की है। सरकार ने आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र से बड़े पैमाने पर टमाटर का उत्पादन करने वाले राज्यों तक पहुंचाने का फैसला किया है। सरकार ने उपभोक्ता मामलों के विभाग के माध्यम से कृषि सहकारी विपणन महासंघ (NAFED) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) को राज्यों से टमाटर खरीदने और फिर कीमतों को नियंत्रण में लाने के लिए इसे प्रमुख उपभोग केंद्रों में वितरित करने का निर्देश दिया है।
पश्चिमी भारत और सदन राज्य, विशेष रूप से कर्नाटक में आंध्र, देश के टमाटर उत्पादन में 50 प्रतिशत से अधिक का योगदान करते हैं। आपूर्ति शृंखला में व्यवधान, मार्च, अप्रैल में अभूतपूर्व बारिश के कारण आपूर्ति में कमी आई है और मांग उससे कहीं अधिक हो गई है। सरकार इस दिशा में उठाए गए कदमों से जल्द ही कीमतों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।
कहते हैं सारे दिन एक से नहीं रहते कभी न कभी ये अपना विपरीत रूप जरूर दिखाते हैं। कभी प्याज कभी आलू और अब टमाटर। जी हाँ! लाल टमाटर मोटे गोल टमाटर जिनके होने से हमें अपने स्वाद की ज्यादा परवाह नहीं रहती है लेकिन अब उनके महंगे होने से हमारे स्वाद में बदलाव हो चुका है। वर्तमान में टमाटर की स्थिति देख हरी मृदुल जी की टमाटर में लिखी एक कविता याद आती है। "लाल टमाटर, हरे टमाटर, सभी टमाटर गोल" "कितने रूपये किलो टमाटर भैया जल्दी बोल" कुछ ऐसा ही हाल बारहमासी टमाटर का हो रखा है जिनके महंगे दामों ने रसोई से इनको नदारथ किया है। सरकार की अब यह पहल शायद इन्हें वापस रसोई में तेजी से ला पायेगी।