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भारत सरकार ने देश में ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए जैव ऊर्जा और अपशिष्ट से ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के उपयोग को प्रोत्साहित करने हेतु राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम को अधिसूचित किया है। इसके साथ ही जैव ईंधन क्षेत्र की वृद्धि को तेज करने और 2025 तक इथेनॉल मिश्रण को बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार ने कई कदम उठाए हैं।
सरकार ने प्रधानमंत्री JI-VAN योजना को अधिसूचित किया है। यह योजना देश में उन्नत जैव ईंधन परियोजनाओं को स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिसमें लिग्नोसेल्यूलोसिक बायोमास और अन्य नवीकरणीय फीडस्टॉक का उपयोग किया जाता है।
इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल कार्यक्रम के तहत अनाज आधारित इथेनॉल आपूर्ति के लिए मक्का को प्रमुख फीडस्टॉक के रूप में प्रोत्साहित करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (IIMR) द्वारा इथेनॉल उद्योगों के कैचमेंट क्षेत्र में मक्का उत्पादन बढ़ाने के साथ विशेष रूप से किसानों को प्रशिक्षण, जागरूकता और प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किए गए।
सरकार ने तेलक्षेत्र (विनियमन और विकास) संशोधन विधेयक, 2024 पेश किया है। इसका उद्देश्य देश में तेल और गैस का घरेलू उत्पादन बढ़ाना और आयात निर्भरता को कम करना है। यह विधेयक अन्वेषण और उत्पादन क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए अनुकूल माहौल बनाने, व्यापार सुगमता को बढ़ावा देने और अन्वेषण, विकास और सभी प्रकार के हाइड्रोकार्बन उत्पादन को प्रोत्साहित करने का लक्ष्य रखता है।
जैव ईंधन परियोजनाओं में उन्नति: प्रधानमंत्री JI-VAN योजना के तहत सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों को छह वाणिज्यिक और चार प्रदर्शन पैमाने की द्वितीय पीढ़ी जैव-इथेनॉल परियोजनाओं के लिए ₹908 करोड़ से अधिक की वित्तीय सहायता स्वीकृत की गई है। इनमें हरियाणा के पानीपत में वाणिज्यिक परियोजना राष्ट्र को समर्पित की गई है, और अन्य तीन परियोजनाएं निर्माण के उन्नत चरण में हैं। पिछले 10 वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र की OMCs द्वारा पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण ने लगभग 557 लाख मीट्रिक टन CO2 उत्सर्जन को कम करने में मदद की है।
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