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जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सरकार के 5 अहम फैसले, जो हर नागरिक को जानना चाहिए

सरकार ने देश में, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में, कृषि पर जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापवृद्धि के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) के तहत "राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA)" संचालित किया जा रहा है। यह मिशन कृषि को जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक अनुकूल बनाने के लिए रणनीतियाँ लागू कर रहा है।

सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों को बढ़ावा देने की पहल:

"पर ड्रॉप मोर क्रॉप (PDMC)" योजना के तहत सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों के माध्यम से जल उपयोग दक्षता बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है, जिससे जल संरक्षण के साथ-साथ फसल उत्पादन भी बेहतर हो सके।

मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता पर विशेष ध्यान Special Focus on Soil Health and Fertility:

मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता योजना के तहत राज्यों को संतुलित पोषक तत्व प्रबंधन अपनाने में सहायता दी जा रही है। इसमें रासायनिक उर्वरकों के साथ जैविक खाद और जैव-उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखा जा सके और उत्पादन क्षमता बढ़ाई जा सके।

जलवायु अनुकूल कृषि तकनीकों को मिल रहा बढ़ावा: बागवानी के एकीकृत विकास मिशन, कृषि वानिकी और राष्ट्रीय बांस मिशन जैसी योजनाएँ जलवायु परिवर्तन के प्रति कृषि क्षेत्र को अधिक अनुकूल बनाने में मदद कर रही हैं। इसके साथ ही, वर्षा आधारित क्षेत्र विकास योजना (RAD) के माध्यम से किसानों को एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम किया जा सके।

फसल बीमा योजनाओं से किसानों को राहत: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना के तहत किसानों को अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले फसल नुकसान के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। यह योजनाएँ किसानों को आर्थिक सुरक्षा देने के साथ-साथ जलवायु जोखिमों से निपटने में मदद कर रही हैं।

उत्तर प्रदेश के 17 जिलों में जलवायु अनुकूल कृषि प्रयोग: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के तहत "राष्ट्रीय जलवायु अनुकूल कृषि नवाचार (NICRA)" परियोजना चलाई जा रही है। इसके तहत उत्तर प्रदेश के 17 जिलों  बागपत, बहराइच, बांदा, बस्ती, चित्रकूट, गोंडा, गोरखपुर, हमीरपुर, जालौन, झांसी, कानपुर (देहात), कौशांबी, कुशीनगर, महाराजगंज, प्रतापगढ़, संत रविदास नगर और सोनभद्र में तीन से चार गाँवों के समूहों में जलवायु अनुकूल कृषि तकनीकों को अपनाया गया है।

नई तकनीकों से किसानों को किया जा रहा प्रशिक्षित: इन जिलों में राइस इंटेंसिफिकेशन सिस्टम, एरोबिक राइस, डायरेक्ट सीडिंग ऑफ राइस, जीरो टिल गेहूं बुवाई और अत्यधिक गर्मी एवं सूखे को सहन करने वाली फसलों की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके साथ ही, किसानों को जलवायु अनुकूल कृषि पद्धतियों पर प्रशिक्षित करने के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं।

लोकसभा में पेश की गई रिपोर्ट: इस संबंध में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में जानकारी दी। सरकार द्वारा उठाए गए इन कदमों से किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने में मदद मिलेगी और कृषि को अधिक टिकाऊ बनाया जा सकेगा।

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