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सर्वेक्षण ने खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने और किसानों की आजीविका को सुधारने में कृषि अनुसंधान की महत्वपूर्ण भूमिका है। सर्वेक्षण के अनुसार, कृषि अनुसंधान, जिसमें शिक्षा भी शामिल है, में निवेश किए गए हर रुपये पर ₹13.85 का अद्भुत रिटर्न मिलता है। वित्त वर्ष 2022-23 में कृषि अनुसंधान के लिए ₹19.65 हजार करोड़ आवंटित किए गए, जो कृषि जीवीए का 0.43 प्रतिशत है।
सर्वेक्षण में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की भूमिका को भी उजागर किया गया है, इसने फसल और बीज उत्पादन, जैव-फोर्टिफाइड अनाज और तेल की किस्मों, बाजरा संवर्धन, पशु स्वास्थ्य, मशीनीकरण और फसलोपरांत प्रबंधन सहित कई पहल की हैं। वर्ष 2022-23 में ही ICAR ने 44 फसलों की 347 किस्में/हाइब्रिड जारी कीं और 99 बागवानी फसलों की किस्मों को वाणिज्यिक खेती के लिए अधिसूचित किया। जलवायु-प्रतिकारक कृषि और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए ICAR और Syngenta ने किया MoU हस्ताक्षर।
खाद्य प्रसंस्करण व निर्यात के अवसर पैदा करना और शहरी युवाओं के लिए कृषि क्षेत्र को आकर्षक और उत्पादक बना सकता है। भारत का कृषि क्षेत्र, व्यापक सब्सिडी और समर्थन के बावजूद, कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। वर्तमान नीतियाँ, अक्सर विपरीत उद्देश्यों पर काम कर रही हैं, मिट्टी की उर्वरता को कम कर रही हैं, भूजल को समाप्त कर रही हैं, और पर्यावरण को प्रदूषित कर रही हैं। आर्थिक सर्वेक्षण इन नीतियों को पुन संगठित करने का समर्थन करता है ताकि कृषि प्रगति की राह में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सके। इन मुद्दों को हल करके, भारत अपने भविष्य को समृद्ध बनाने की दिशा में आगे बढ़ सकता है। भारत अपने किसानों और देश के लिए एक समृद्ध भविष्य सुनिश्चित कर सकता है। आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 से मिले अंतर्दृष्टि इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक रोडमैप प्रदान करती है।
CII के अध्यक्ष संजीव पुरी ने भारत की विकास दर के बारे में व्यक्त करते हुए कहा कि मुझे विश्वास है कि वित्त वर्ष 2025 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि सर्वेक्षण में दिए गए पूर्वानुमान को पार कर जाएगी। इसमें 8 प्रतिशत होने की संभावना है। पुरी ने छह प्रमुख क्षेत्रों को उजागर किया, जिनमें निजी निवेश को बढ़ावा देना, MSMEs का विस्तार, कृषि को विकास इंजन के रूप में स्थापित करना, हरित बदलाव को वित्तपोषित करना, शिक्षा-रोजगार अंतर को पाटना, और राज्य की क्षमता और योग्यता का निर्माण शामिल है। ये फोकस क्षेत्र भारत की विकास की दृष्टि को तेजी से आगे बढ़ाने की उम्मीद रखते हैं।
CII के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि सर्वेक्षण में 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था का दर्जा प्राप्त करने की दिशा में भारत को साहसपूर्वक आगे बढ़ाने के लिए एक भविष्यवादी दृष्टि प्रदान करता है। कृषि, पूंजीगत व्यय, परिसंपत्ति मुद्रीकरण, शिक्षा-रोजगार अंतर को कम करने, MSMEs का विस्तार और स्थिरता को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करना अर्थव्यवस्था के विकास इंजनों को तेज करेगा।
सर्वेक्षण में स्थायी कृषि प्रथाओं, जिसमें स्थानीय बीजों और प्राकृतिक खेती के तरीकों का उपयोग शामिल है, पर जोर दिया गया तथा मल्चिंग और खाद बनाने के लिए कृषि अवशेषों के उपयोग की भी सिफारिश की गई है। डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ONDC) किसानों और कारीगरों की आजीविका को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने की क्षमता के लिए उल्लेखनीय है, जिसमें लगभग 5,700 किसान उत्पादक संगठन (FPOs) ने नेटवर्क में शामिल होकर FY24 की चौथी तिमाही में 23,000 से अधिक लेन-देन किए हैं। पिछले पांच वर्षों में कृषि क्षेत्र की औसत वृद्धि दर 4.18 प्रतिशत रही है, जो अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन जैसे सहयोगी क्षेत्र किसानों की आय बढ़ाने की अपनी क्षमता के लिए प्रमुखता प्राप्त कर रहे हैं।
सर्वेक्षण में छोटे किसानों की आय बढ़ाने के लिए उच्च-मूल्य कृषि फल और सब्जियां, मत्स्यपालन, पोल्ट्री, डेयरी और भैंस का मांस पर अधिक जोर देने का सुझाव दिया गया है। साथ ही तेलबीज, दालों और बागवानी की ओर फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए कृषि अवसंरचना पर विशेष ध्यान दिया गया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित किया गया।