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भारत सरकार ने गेहूँ के थोक व्यापारियों को गेहूँ भण्डारण को एक सीमा के अन्तर्गत ही भण्डार में रखने की अनुमति प्रदान की है। भारतीय सरकार के गोदामों यद्यपि पर्याप्त भण्डारण है पर गेहूँ के खरीदी में पिछले साल के अनुपात में इस साल कमी आयी है। यह नई भण्डारण नीति जमाखोरी को रोकने के उदेश्य से सरकार ने बनाई है, जिससे आम उपभोक्ता पर गेहूँ के दामों का सीधा असर ना पड़े।
पिछले साल मई 2022 में ज्ञात होगा कि भारत सरकार ने गेहूँ के निर्यात पर रोक लगा दी थी। इससे गेहूँ के दामों में चल रहे अप्रसंगिक उछाल जो यूक्रेन, रसिया युद्ध के कारण उछाल ले रहे थे थोड़ा ठहराव ले पाये। जून माह में मण्डियों की समीक्षा मुख्य बाजारों में भी इस तथ्य को तूल दे रही हैं कि गेहूँ के दाम जून माह में पिछले साल जून माह के अनुपात में मजबूत रहे।
दिल्ली की अग्रणीय गेहूँ मण्डी नरेला में जून माह में औसतन गेहूँ का दाम प्रति क्विंटल बिकावली पर 2100 रूपये प्रति मैट्रिक टन रहा। सन् 2023 जून में नरेला मण्डी में औसतन दाम 2300 रूपये प्रति क्विंटल जून माह में नरेला में दिखाई पड़ा।
महाराष्ट्र के मण्डियों में औसतन दाम जून 2022 में 2250 रूपये प्रति क्विंटल रहा जो 2023 जून माह में औसतन रूपये 2250 से रूपये 2300 प्रति क्विंटल तक रहा। भारतीय कृषि मंत्रालय द्वारा जारी तृतीय खाद्यान्न/अनाज उत्पादन के अनुसार भारत में गेहूँ की फसल की उत्पादन 112 मिलियन टन के सरकारी टारगेट के आगे निकल जायेगी। भारत की कुल अनुमानित गेहूँ की वार्षिक खपत 108 मिलियन मैट्रिक टन है। गेहूँ खाद्य आपूर्ति के लिये सुखद सूचना है।