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मध्य प्रदेश के कृषि में उद्यमिता को बढ़ावा देने का राज्यपाल का संदेश, कृषि विद्यार्थियों से की अपील

कृषि में उद्यमिता को बढ़ावा
कृषि में उद्यमिता को बढ़ावा

मध्य प्रदेश के राज्यपाल, मंगुभाई पटेल ने मंगलवार को ग्वालियर में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के दशम दीक्षांत समारोह के दौरान कृषि विद्यार्थियों से अपील की कि वे पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक वैज्ञानिक ज्ञान का उपयोग कर किसानों की जटिल समस्याओं का समाधान करने में योगदान दें। उन्होंने वंचित एवं दूरस्थ क्षेत्रों में उन्नत कृषि तकनीकों को पहुंचाने पर जोर दिया।

कृषि क्षेत्र में उत्कृष्टता का सम्मान

राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में स्नातकों और उनके परिवारों को बधाई दी। यह समारोह दत्तोपंत ठेंगड़ी सभागार में आयोजित हुआ, जहां विशिष्ट अतिथि प्रो. पी. एल. गौतम और दिनेश कुलकर्णी के साथ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अरविंद कुमार शुक्ला, परिषद सदस्य और शिक्षक भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर कृषि वैज्ञानिक जगदीश कुमार लड्डा और पी. एम. गौर को मानद उपाधियों से सम्मानित किया गया। समारोह में कुल 979 विद्यार्थियों को उपाधियाँ प्रदान की गईं, जिनमें 48 पीएचडी, 666 स्नातक, और 265 स्नातकोत्तर छात्र शामिल हैं। साथ ही, 7 छात्रों को स्वर्ण पदक और 4 को सिरताज बहादुर सिन्हा स्मृति पुरस्कार दिया गया। समारोह के दौरान स्मारिका का विमोचन भी किया गया।

भविष्य के किसानों को सशक्त बनाना  

राज्यपाल पटेल ने विश्वविद्यालयों से अपील की कि वे छात्रों को कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों में उद्यमिता के अवसरों की पहचान करने में सहायता करें। उन्होंने सामान्य किसानों को उद्यमियों में परिवर्तित करने के लिए नवोन्मेषी तरीकों की आवश्यकता पर जोर दिया। पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालयों को किसानों की बुद्धिमत्ता और कृषि पेशेवरों के कौशल के बीच सहयोग का मंच प्रदान कर कृषि विकास में योगदान करना चाहिए। उन्होंने वर्तमान चुनौतियों का भी उल्लेख किया, जैसे कृषि जोतों का घटता आकार, जलवायु परिवर्तन, तापमान में वृद्धि, और प्राकृतिक संसाधनों का क्षरण, जो खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं। इन समस्याओं का सामना करने के लिए किसानों को सक्षम बनाना आवश्यक है, और इसके लिए व्यापक अनुसंधान और प्रयास करने की आवश्यकता है।

आत्मनिर्भर भारत का दृष्टिकोण  

राज्यपाल ने प्रधानमंत्री मोदी की राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सराहना की, जिसमें युवाओं की सहभागिता से आत्मनिर्भर और विकसित भारत बनाने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में आय और रोजगार की वृद्धि के माध्यम से न्याय संगत और समावेशी ग्रामीण विकास की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कृषि विद्यार्थियों से कहा कि उन्हें अपनी प्रतिभा का उपयोग समाज की सबसे पिछली पंक्ति के व्यक्तियों की खुशहाली के लिए करना चाहिए। 
केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. पी. एल. गौतम ने देश में कृषि क्षेत्र में आई क्रांति पर गर्व व्यक्त किया, लेकिन जनसंख्या वृद्धि, जलवायु परिवर्तन, जल संसाधनों की कमी और खेती की बढ़ती लागत जैसी चुनौतियों पर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने विश्वविद्यालयों से इन चुनौतियों से निपटने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग करने की आवश्यकता जताई।

कृषि में उद्यमिता को प्रोत्साहित करना  

दिनेश कुलकर्णी ने कहा कि कृषि में बेरोजगारी की दर अन्य क्षेत्रों की तुलना में कम है, लेकिन यह चिंता का विषय है कि कृषि विद्यार्थी अपने ज्ञान का उपयोग खेती में करने के बजाय नौकरी की ओर अधिक झुकाव रखते हैं। उन्होंने कहा कि कृषि विद्यार्थियों को रोजगार देने वाले बनना चाहिए, ताकि खेती लाभ का धंधा बन सके। 

दीक्षोपदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अरविंद कुमार शुक्ला ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया गेहूं की एक नई प्रजाति का विकास भाभा ऑटोनॉमिक केंद्र के सहयोग से किया गया है। विश्वविद्यालय में 11 अनुसंधान परियोजनाएँ चल रही हैं, जिनमें 229 लाख की लागत से आलू बीज उत्पादन की परियोजना शामिल है। इसके अलावा, सब्जियों के बीज के लिए 416 लाख रुपए की हाइब्रिड बीज परियोजना और ग्वालियर में उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने तथा सोलर-बेस्ड इंटेंसिव परियोजना लागू की गई है। विश्वविद्यालय ने ग्रीन और एनर्जी ऑडिट में भी सफलता प्राप्त की है।


 

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