उत्तर प्रदेश के किसान लंबे समय से CO-238 गन्ना किस्म से कम उपज मिलने के कारण परेशान थे, लेकिन अब उनके लिए अच्छी खबर है। कृषि वैज्ञानिकों ने गन्ने की दो नई किस्मों – ‘लाहिड़ी’ (Co. Sha. 19231) और Co. Se. 17451 – का विकास किया है, जो अधिक उपज देने के साथ-साथ बेहतर चीनी रिकवरी भी सुनिश्चित करेंगी। इन नई किस्मों में बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता और कम समय में अधिक उत्पादन की विशेषता है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि की संभावना है। उत्तर प्रदेश गन्ना विकास विभाग ने किसानों को इन नई किस्मों को अपनाने की सलाह दी है, जिससे प्रदेश में गन्ने की पैदावार और मुनाफे में वृद्धि होगी।
उत्तर प्रदेश के किसान इस समय बसंतकालीन गन्ना बुवाई की तैयारी कर रहे हैं। इसी बीच, उत्तर प्रदेश गन्ना विकास विभाग की ओर से 11 फरवरी 2025 को "उ.प्र. बीज गन्ना एवं गन्ना किस्म स्वीकृति उप-समिति" की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में गन्ने की नई किस्मों को किसानों के लिए स्वीकृत किया गया। उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर ने इन दोनों नई किस्मों को विभिन्न क्षेत्रों के लिए उपयोगी बताया है, क्योंकि इनकी उपज दर और चीनी रिकवरी दर पिछली किस्मों की तुलना में बेहतर पाई गई है।
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर द्वारा विकसित की गई Co. Sha. 19231 किस्म को ‘लाहिड़ी’ नाम दिया गया है। यह अधिक उपज देने वाली प्रजातियों में से एक है। औसत उपज 92.05 टन प्रति हेक्टेयर, गन्ने के रस में चीनी प्रतिशत (जनवरी माह में): 17.85%, गन्ने में चीनी रिकवरी दर: 13.20% है। वहीं, दूसरी नई किस्म Co. Se. 17451, जिसे सेवरही संस्थान में विकसित किया गया है, भी अधिक उपज देने वाली किस्मों में शामिल है। औसत उपज: 87.96 टन प्रति हेक्टेयर, गन्ने के रस में चीनी प्रतिशत (जनवरी माह में): 16.63%, गन्ने में चीनी रिकवरी दर: 12.82%
Co. Sha. 19231 (‘लाहिड़ी’) – उत्तर प्रदेश के सभी क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त होती है। Co. Se. 17451 – विशेष रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए बेहतर मानी गई है।
नई किस्मों की विशेषताएं:
लाहिड़ी किस्म में बारीक छिद्र और हल्के रोएं होते हैं, जिससे यह अच्छी गुणवत्ता वाले गन्ने का उत्पादन करती है। यह लाल सड़न रोग के प्रति मध्यम रूप से प्रतिरोधी है, जिससे किसानों को नुकसान कम होगा।
Co. Se. 17451 गन्ने में मध्यम मोटाई और ठोस संरचना होती है। यह किस्म लंबी और पोरी आकार में बढ़ती है, जिससे इसकी उपज अधिक होती है।
नई किस्मों से किसानों को होगा बड़ा फायदा:
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