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खेती-बागवानी को बढ़ावा देने के लिए खर्च होंगे 2,000 करोड़ रुपये, प्राकृतिक फसलों को मिलेगा समर्थन मूल्य

खेती-बागवानी
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हिमाचल प्रदेश सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए कृषि और बागवानी क्षेत्र में बड़े स्तर पर निवेश कर रही है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गुरुवार को बताया कि राज्य सरकार इस वित्त वर्ष में खेती-बाड़ी और बागवानी को बढ़ावा देने के लिए 2,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी।

किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिये प्राकृतिक खेती पर जोर:

सीएम सुक्खू ने कहा कि खेती और बागवानी शुरू से ही हिमाचल प्रदेश की जीवनशैली और आजीविका का महत्वपूर्ण हिस्सा रही हैं। सरकार प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए विशेष प्रयास कर रही है, जिससे किसानों की आय बढ़ाई जा सके और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नया आधार मिल सके।

कृषि व बागवानी उत्पादों की मार्केटिंग को मिलेगा बल:

मुख्यमंत्री ने गुरुवार को कृषि, बागवानी और संबद्ध विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की अध्यक्षता करते हुए बताया कि राज्य में कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग और उनके विपणन के लिए एक मजबूत व्यवस्था विकसित की जा रही है। दुग्ध उत्पादन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए भी कई नए प्रयास किए जा रहे हैं।

हल्दी, गेहूं और मक्का की प्राकृतिक फसलों पर मिलेगा MSP:

राज्य सरकार ने प्राकृतिक खेती से उत्पन्न फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) निर्धारित किया है। वित्त वर्ष 2025–26 के दौरान हल्दी के लिए 90 रुपये प्रति किलोग्राम, गेहूं के लिए 60 रुपये प्रति किलोग्राम और मक्का के लिए 40 रुपये प्रति किलोग्राम समर्थन मूल्य दिया जाएगा।

हिम गंगा योजना और आधुनिक दुग्ध संग्रहण यूनिट्स: हमीरपुर और कांगड़ा जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ‘हिम गंगा योजना’ की शुरुआत की गई है। इसके तहत मंडी, कुल्लू और शिमला जिलों में 120 ऑटोमैटिक और 32 डिजिटल मिल्क कलेक्शन यूनिट्स स्थापित की गई हैं।

पशु चिकित्सकों की मांगें: इस बीच, हिमाचल प्रदेश पशु चिकित्सा अधिकारी संघ ने राज्य सरकार से आर्थिक भलाई सुनिश्चित करने के लिए एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन (ACP) योजना और नॉन-प्रैक्टिसिंग अलाउंस (NPA) को फिर से शुरू करने की मांग की है। संघ के राज्य महासचिव डॉ. मधुर गुप्ता ने बताया कि पशु चिकित्सकों को पहले से ही सीमित अवसर मिलते हैं, और इन योजनाओं के बंद होने से उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सरकार को मांग पत्र भी सौंपा गया है।

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