पटना में तीन दिवसीय बागवानी महोत्सव पर बिहार के कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने इस महोत्सव का उद्घाटन किया और राज्य में शहद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नई नीति बनाने की घोषणा की। इस महोत्सव में 1500 से अधिक किसानों ने भाग लिया है, जिन्होंने फल, फूल, सब्जियों के बीज और अन्य बागवानी उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई है।
कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार भूमिहीन किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शहद उत्पादन को प्रोत्साहित करेगी। इसके तहत सूरजमुखी, सहजन, सरसों और लीची जैसे फसलों से शहद उत्पादन की नीति तैयार की जाएगी। इस नीति का उद्देश्य भूमिहीन किसानों को मधुमक्खी पालन से जोड़कर उनकी आय बढ़ाना है।
गांधी मैदान में आयोजित इस महोत्सव में राज्य के विभिन्न जिलों से आए 1500 से अधिक किसानों ने 14,000 से ज्यादा प्रदर्शनी प्रस्तुत की। महोत्सव में लगभग 60 स्टॉल लगाए गए हैं, जहां फल, फूल, सब्जियों के बीज, बिचड़ा, पौधे, गमले, मधु, मखाना, मशरूम और अन्य बागवानी उत्पाद बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।
मधुमक्खीपालन के लाभः
बागवानी से बढ़ रही किसानों की आय: कृषि मंत्री ने कहा कि बिहार की अर्थव्यवस्था में बागवानी का अहम योगदान है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2005 में राज्य की प्रति व्यक्ति आय ₹7,500 थी, जो अब बढ़कर ₹66,000 हो गई है। यह वृद्धि किसानों की मेहनत और बागवानी क्षेत्र में उनकी भागीदारी के कारण संभव हुई है।
बागवानी का क्षेत्र विस्तार और आधुनिक तकनीक का उपयोग:
राज्य सरकार बागवानी क्षेत्र को 2025 तक 18 लाख हेक्टेयर और 2026 तक 20 लाख हेक्टेयर तक विस्तार बढाने का लक्ष्य निर्धारित कर रही है। किसान पारंपरिक फसलों के साथ-साथ उच्च मूल्य वाले विदेशी फलों जैसे ड्रैगन फ्रूट और स्ट्रॉबेरी की भी खेती कर रहे हैं।
भंडारण और मूल्य संवर्द्धन पर ध्यान: कृषि मंत्री ने बताया कि किसानों के उत्पादों के उचित भंडारण, प्रसंस्करण, और मूल्य संवर्द्धन के लिए कृषि विभाग तेजी से काम कर रहा है। इस दिशा में राज्य सरकार ने कृषि मार्केटिंग निदेशालय का गठन किया है, जिसका उद्देश्य किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाना, बाजार उपलब्ध कराना और बेहतर पैकेजिंग सुविधाएं सुनिश्चित करना है।