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प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने स्वच्छ पौध कार्यक्रम (सीपीपी) को मंजूरी दी है, जो भारत के बागवानी क्षेत्र के लिए एक परिवर्तनकारी कदम है। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के नेतृत्व में, 1,765.67 करोड़ रुपये के निवेश से समर्थित, यह कार्यक्रम पूरे देश में फल फसलों की गुणवत्ता और उत्पादकता को बढ़ाने का लक्ष्य रखता है। इस पहल से कृषि क्षेत्र में उत्कृष्टता और स्थिरता के नए मानक स्थापित होंगे। भारत की विविध जलवायु का लाभ उठाकर, जो ताजे फलों और सब्जियों की एक विस्तृत श्रृंखला की खेती का समर्थन करती है, चीन के बाद भारत इस क्षेत्र में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
स्वच्छ पौध कार्यक्रम का उद्देश्य बागवानी में महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान करना है, जिसमें उच्च गुणवत्ता वाले, वायरस मुक्त पौध सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करना शामिल है। यह कार्यक्रम किसानों से लेकर उपभोक्ताओं तक विभिन्न हितधारकों के लिए कई लाभ प्रदान करेगा और वैश्विक फल बाजार में भारत की स्थिति को मजबूत करेगा।
राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एनएचएम) एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे 2005 में शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य बागवानी क्षेत्र का समग्र विकास करना है। इसका मुख्य लक्ष्य बागवानी उत्पादन को बढ़ावा देना, पोषण सुरक्षा में सुधार करना और किसानों को आय सहायता प्रदान करना है। इस मिशन के तहत विभिन्न बागवानी फसलों को कवर किया गया है और क्षेत्र विस्तार, पुराने बागों का पुनरोद्धार, संरक्षित खेती, और फसल उपरांत प्रबंधन जैसी गतिविधियों के लिए समर्थन प्रदान किया जाता है। इसमें फलों, सब्जियों, जड़ और कंद फसलों, मशरूम, मसालों, फूलों, सुगंधित पौधों, नारियल, काजू, बांस और कोको जैसी कई फसलें शामिल हैं।
पीएमएफबीवाई योजना के अन्तर्गत किसानों को खरीफ फसलों के लिए प्रीमियम योगदान 2 प्रतिशत, रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत, तथा वाणिज्यिक व बागवानी फसलों के लिए 5 प्रतिशत तक सीमित है। यह महत्वपूर्ण समर्थन सरकार की बागवानी फसलों की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो इस महत्वपूर्ण क्षेत्र की सुरक्षा के लिए लक्षित बीमा समाधानों की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
एचसीडीपी को भौगोलिक विशेषज्ञता का लाभ उठाने और बागवानी क्लस्टरों के एकीकृत और बाजार-नेतृत्व वाले विकास को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह कार्यक्रम विशेष क्षेत्रों में पहचानी गई फसलों पर ध्यान केंद्रित करके संसाधनों के बेहतर उपयोग के माध्यम से उत्पादकता को अनुकूलित करने का लक्ष्य रखता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य फोकस फसलों के निर्यात में वृद्धि करना और वैश्विक बाजार में भारतीय बागवानी उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करना है।
पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों में बागवानी मिशन: यह मिशन पूर्वोत्तर राज्यों और हिमालयी क्षेत्रों में बागवानी के व्यापक विकास पर केंद्रित है। यह इन क्षेत्रों की विशिष्ट कृषि-जलवायु स्थितियों को ध्यान में रखता है और उन फसलों को बढ़ावा देता है जो विशेष रूप से इन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं, जिससे किसानों की आजीविका में सुधार और सतत बागवानी प्रथाओं को प्रोत्साहित किया जा सके।