मिट्टी हमारे द्वारा उगाए जाने वाले भोजन के साथ-साथ चारा, कप़ड़ा, लकड़ी और अन्य सामग्रियों के उत्पादन का आधार है। यह हमारे कल्याण और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। मिट्टी का स्वास्थ्य और उसकी उत्पादकता कृषि, जल छानने और जलवायु नियमन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। मानव गतिविधियों और प्राकृतिक प्रक्रियाओं के कारण मिट्टी का क्षरण और अपरदन होता है, जिससे हमारे ग्रह का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। पर्यावरणीय चर्चाओं में मृदा संरक्षण एक अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा बनकर उभरा है।
मृदा संरक्षण वह प्रक्रिया है जिसके तहत मिट्टी को अपरदन, क्षरण और प्रदूषण से बचाया जाता है। इसमें विभिन्न तकनीकें और रणनीतियां शामिल होती हैं, जो मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने व उसके क्षरण को रोकने में सहायक होती हैं।
मिट्टी का पीएच भौतिक, रासायनिक और जैविक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है, जो मिट्टी की उर्वरता और पौधों की वृद्धि को प्रभावित करते हैं। मिट्टी में अम्लता का यह स्तर आवश्यक पोषक तत्वों की उपलब्धता को निर्धारित करता है। 6 से 7.5 के बीच पीएच मान वाली मिट्टी पौधों की वृद्धि के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। अत्यधिक अम्लीय या क्षारीय मिट्टी पौधों की वृद्धि को प्रभावित कर सकती है।
सभी प्रकार की मिट्टी फसल उगाने के लिए उपयुक्त नहीं होती। कृषि के लिए आदर्श मिट्टी में खनिज घटक, मिट्टी के जैविक पदार्थ, हवा और पानी का संतुलित मिश्रण होना चाहिए। यह संतुलन जल निकासी, जड़ों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने और पौधों को पोषण देने में मदद करता है। मिट्टी के निर्माण में पांच प्रमुख कारक, मूल सामग्री, समय, जलवायु, जीव और स्थलाकृति — प्रभावी भूमिका निभाते हैं।
मृदा में पोषक तत्वों की भूमिका: मिट्टी में पोषक तत्वों का प्राकृतिक चक्रण पौधों और जीवों के लिए आवश्यक पोषण प्रदान करता है। प्राथमिक मैक्रोन्यूट्रिएंट्स जैसे नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P) और पोटैशियम (K) मिट्टी से सबसे अधिक मात्रा में आवश्यक होते हैं। इनकी कमी मिट्टी की उर्वरता को प्रभावित करती है। मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए पशु खाद, लकड़ी का कोयला, राख और चूने का उपयोग किया जा सकता है।
मिट्टी के जैविक और अजैविक घटक: मिट्टी जीवन से भरपूर है, और इसके जैविक घटक मिट्टी के स्वास्थ्य और उर्वरता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं। मिट्टी के जैविक घटक जैसे- सूक्ष्मजीव, कीट और केंचुए, पौधों की जड़ें, माइकोराइजल कवक, मृदा जीव आदि होते हैं, जो मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ पदार्थों की अहम भूमिका निभाते हैं। मिट्टी में कई प्रमुख अजैविक घटक होते हैं, जो इसकी संरचना और कार्य के लिए आधार प्रदान करते हैं। यह मुख्य अजैविक घटक खनिज, पानी, हवा, कार्बनिक पदार्थ और पीएच स्तर आदि मिट्टी को सुगम बनाने के लिए आवश्यक है।
मिट्टी के क्षरण के कारण:
टिकाऊ मृदा प्रबंधन: टिकाऊ कृषि एक ऐसा दृष्टिकोण है, जो खाद्य उत्पादन के साथ-साथ पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा और सामाजिक समानता बनाए रखने पर केंद्रित है। इसमें मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखने, जल संसाधनों का कुशल उपयोग करने और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए रणनीतियां अपनाई जाती हैं। स्वस्थ मिट्टी न केवल हमारी कृषि उत्पादन को सुनिश्चित करती है, बल्कि यह हमारी जलवायु, जैव विविधता और पर्यावरणीय संतुलन को भी बनाए रखती है। इसलिए, मृदा संरक्षण को प्राथमिकता देना आज की आवश्यकता है।
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