• होम
  • ब्लॉग
  • Soil health: मृदा स्वास्थ्य और संरक्षण, हरित भविष्य की दिशा...

Soil health: मृदा स्वास्थ्य और संरक्षण, हरित भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

मृदा स्वास्थ्य
मृदा स्वास्थ्य

मिट्टी हमारे द्वारा उगाए जाने वाले भोजन के साथ-साथ चारा, कप‍़‌ड़ा, लकड़ी और अन्य सामग्रियों के उत्पादन का आधार है। यह हमारे कल्याण और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। मिट्टी का स्वास्थ्य और उसकी उत्पादकता कृषि, जल छानने और जलवायु नियमन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। मानव गतिविधियों और प्राकृतिक प्रक्रियाओं के कारण मिट्टी का क्षरण और अपरदन होता है, जिससे हमारे ग्रह का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। पर्यावरणीय चर्चाओं में मृदा संरक्षण एक अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा बनकर उभरा है।

क्या है मृदा संरक्षण What is soil conservation?

मृदा संरक्षण वह प्रक्रिया है जिसके तहत मिट्टी को अपरदन, क्षरण और प्रदूषण से बचाया जाता है। इसमें विभिन्न तकनीकें और रणनीतियां शामिल होती हैं, जो मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने व उसके क्षरण को रोकने में सहायक होती हैं।

फसल की अच्छी वृद्धि के लिए मिट्टी का पीएच PH of soil for good growth of crop:

मिट्टी का पीएच भौतिक, रासायनिक और जैविक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है, जो मिट्टी की उर्वरता और पौधों की वृद्धि को प्रभावित करते हैं। मिट्टी में अम्लता का यह स्तर आवश्यक पोषक तत्वों की उपलब्धता को निर्धारित करता है। 6 से 7.5 के बीच पीएच मान वाली मिट्टी पौधों की वृद्धि के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। अत्यधिक अम्लीय या क्षारीय मिट्टी पौधों की वृद्धि को प्रभावित कर सकती है।

कृषि के लिए मिट्टी की आवश्यकता Requirement of soil for agriculture:

सभी प्रकार की मिट्टी फसल उगाने के लिए उपयुक्त नहीं होती। कृषि के लिए आदर्श मिट्टी में खनिज घटक, मिट्टी के जैविक पदार्थ, हवा और पानी का संतुलित मिश्रण होना चाहिए। यह संतुलन जल निकासी, जड़ों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने और पौधों को पोषण देने में मदद करता है। मिट्टी के निर्माण में पांच प्रमुख कारक, मूल सामग्री, समय, जलवायु, जीव और स्थलाकृति — प्रभावी भूमिका निभाते हैं।

मृदा में पोषक तत्वों की भूमिका: मिट्टी में पोषक तत्वों का प्राकृतिक चक्रण पौधों और जीवों के लिए आवश्यक पोषण प्रदान करता है। प्राथमिक मैक्रोन्यूट्रिएंट्स जैसे नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P) और पोटैशियम (K) मिट्टी से सबसे अधिक मात्रा में आवश्यक होते हैं। इनकी कमी मिट्टी की उर्वरता को प्रभावित करती है। मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए पशु खाद, लकड़ी का कोयला, राख और चूने का उपयोग किया जा सकता है।

मिट्टी के जैविक और अजैविक घटक: मिट्टी जीवन से भरपूर है, और इसके जैविक घटक मिट्टी के स्वास्थ्य और उर्वरता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं। मिट्टी के जैविक घटक जैसे- सूक्ष्मजीव, कीट और केंचुए, पौधों की जड़ें, माइकोराइजल कवक, मृदा जीव आदि होते हैं, जो मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ पदार्थों की अहम भूमिका निभाते हैं। मिट्टी में कई प्रमुख अजैविक घटक होते हैं, जो इसकी संरचना और कार्य के लिए आधार प्रदान करते हैं। यह मुख्य अजैविक घटक खनिज, पानी, हवा, कार्बनिक पदार्थ और पीएच स्तर आदि मिट्टी को सुगम बनाने के लिए आवश्यक है।

मृदा संरक्षण का महत्व:

  1. कृषि: मिट्टी पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक पोषक तत्व और जल प्रदान करती है। स्वस्थ मिट्टी उच्च उपज देती है और रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता को कम करती है।
  2. जैव विविधता: मिट्टी जीवों जैसे बैक्टीरिया, कवक और कीड़ों का घर है, जो पोषक तत्वों के चक्रण और अपघटन में सहायता करते हैं।
  3. जल छानना: मिट्टी प्राकृतिक फिल्टर के रूप में कार्य करती है और भूजल को शुद्ध करती है।
  4. जलवायु नियमन: मिट्टी कार्बन को अवशोषित करके जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करती है।
  5. अपरदन रोकथाम: मृदा संरक्षण तकनीकें मिट्टी के अपरदन को रोकने और पर्यावरणीय क्षति को कम करने में मदद करती हैं।

मिट्टी के क्षरण के कारण:

  1. वनों की कटाई: विकास और कृषि के लिए वनों की कटाई मिट्टी के अपरदन का प्रमुख कारण है।
  2. अधिक चराई: अत्यधिक चराई से मिट्टी की संरचना खराब होती है।
  3. अस्थिर कृषि: अत्यधिक कीटनाशकों और उर्वरकों के उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता घटती है।
  4. जलवायु परिवर्तन: अनियमित मौसम और प्राकृतिक आपदाएं मिट्टी के क्षरण को तेज करती हैं।
  5. शहरीकरण: शहरीकरण से मिट्टी की सघनता और प्रदूषण बढ़ता है।

टिकाऊ मृदा प्रबंधन: टिकाऊ कृषि एक ऐसा दृष्टिकोण है, जो खाद्य उत्पादन के साथ-साथ पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा और सामाजिक समानता बनाए रखने पर केंद्रित है। इसमें मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखने, जल संसाधनों का कुशल उपयोग करने और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए रणनीतियां अपनाई जाती हैं। स्वस्थ मिट्टी न केवल हमारी कृषि उत्पादन को सुनिश्चित करती है, बल्कि यह हमारी जलवायु, जैव विविधता और पर्यावरणीय संतुलन को भी बनाए रखती है। इसलिए, मृदा संरक्षण को प्राथमिकता देना आज की आवश्यकता है।

ये भी पढें... जैविक कार्बन में सुधार के लिये किसानों को प्रदान किया जायेगा मृदा स्वास्थ्य कार्ड

लेटेस्ट
khetivyapar.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण जानकारी WhatsApp चैनल से जुड़ें