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पुदीना अपनी सदाबहार खुशबू और स्वाद के कारण रसोई और बगीचे दोनों के लिए महत्वपूर्ण फसल है। यह सलाद को स्वादिष्ट बनाता है, पानी को ताज़ा करता है और कई बीमारियों के लिए घरेलू उपचार के रूप में भी काम करता है। पुदीना बगीचे के लिए भी संजीवनी से कम नही है। पराग और अमृत से भरपूर पुदीना शहद की मक्खियों और होवरफ्लाई जैसे लाभकारी कीटों को आकर्षित करता है, जबकि चींटियों, मक्खियों, मच्छरों, चूहों और चूहों जैसे कम उपयोगी कीटों को रोकता है। गर्मियों में पुदीना का शरबत बनाकर पीने से स्वास्थ्य और गर्मी दूर होती है।
कटिंग विधि से पुदीना को आसानी से उगाया जा सकता है पुदीना की कटिंग को अपनी जड़ें विकसित करने में 10-15 दिन का समय लगता है। पुदीना के पौधे में से कटिंग को काट लें और इसे गमले या मिट्टी में लगा दें।
पानी में पुदीना को किस प्रकार उगाएं: पुदीना को पानी में उगाना के लिए पुदीना के पौधे से कटिंग लेकर निचली पत्तियों को हटा दें और एक गिलास पानी में तने को डुबो दें। समय-समय पर गिलास के पानी को बदलते रहें और कुछ समय बाद कटिंग से पौधे की जड़ उगने लगसती है। किन्तु इस पौधे को ज्यादा समय तक हरा-भरा नहीं रखा जा सकता है क्योंकि केवल पानी से पौधे को अधिक मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं।
उपयुक्त मिट्टी तथा जलवायु: पुदीना का पौधा उचित जल निकासी वाली दोमट मिट्टी में अच्छी तरह से विकसित हो जाता है। इसके पौधे की वृद्धि के लिए मिट्टी का पीएच मान करीब 6-7 के बीच होना चाहिए। पुदीने की खेती समशीतोष्ण जलवायु तथा उष्ण एवं उपोषण जलवायु में की जा सकती है। अत्यधिक ठंड वाले महीनों को छोडक़र इसकी खेती साल भर की जा सकती है।
पुदीना की जड़ों की रोपाई के लिए जनवरी और फरवरी का महीना सर्वोत्तम होता है। लेकिन पुदीना की कुछ ऐसी किस्में भी हैं, जिसकी खेती आप मार्च महीने में भी कर सकते हैं। रोपाई करने के 100 से 110 दिनों के बाद पुदीना की फसल तैयार हो जाती है।
पुदीना के पौधे के लिए पानी कितना दें: पुदीना के पौधे को उगाने के लिए गमले की मिट्टी में नमी हमेशा बनाए रखें, लेकिन मिट्टी को अधिक गीला न करें, क्योंकि मिट्टी को ज्यादा गीला करने से मिट्टी चिपचिपी हो जाती है जिसके कारण पौधे की जड़ों का विकास नही हो पाता है और पौधा नष्ट हो सकते हैं। यदि मिट्टी लगभग एक इंच नीचे सूखी है, तो अपने पौधों को उचित मात्रा में पानी दें। यदि आप पुदीने के पत्ते मुरझाये हुए दिखे, तो, पौधों को पानी की जरुरत है। आप सुबह या शाम को पौधों को पानी दे सकते हैं।
पुदीने के लिए खेत की तैयारी: खेत की पहली गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करके दो जुताई हैरो से करें। अंतिम जुताई से पहले 20-25 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से अच्छी प्रकार से सड़ी गोबर की खाद खेत में मिलाकर पाटा लगवायें और खेत को समतल कर लें। पुदीने की बिजाई के लिए सुविधाजनक आकार के बैड तैयार करें।
पुदीने के लिए खाद का प्रयोग: पुदीना के पौधों की वृद्धि के लिए पौधों को जैविक खाद जैसे गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट, रॉक फास्फेट, और नीम केक आदि का इस्तेमाल हैं। रासायनिक उर्वरकों के लिए नाइट्रोजन 120 किलोग्राम, फॉस्फोरस 60 किलोग्राम और पोटेशियम 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। नाइट्रोजन का पांचवां हिस्सा रोपण के समय मिट्टी में मिलायें।
पुदीना की उन्नत किस्में: एम.ए.एस. 1. कोसी, कुशाल, सक्षम, गोमती (एच.वाई. 77), शिवालिक, हिमालय, जापानी पुदीना, नींबू बाम आदि मुख्यत: उगायी जाने वाली पुदीने की उन्नत किस्में हैं।
पुदीना का उपयोग use of mint:
पुदीने की पत्तियों का प्रयोग चाय बनाने के लिए कर सकते हैं।
ताजी पुदीने की पत्तियों के साथ भाप लेने से बंद नाक, सिरदर्द की समस्या से राहत मिलती है।
पुदीने का उपयोग नींबू पानी जैसे पेय में किया जाता है।
मिंट सॉस और मिंट जैली बनाने में किया जाता है।
कटाई और उपज Harvesting and Yield: पुदीने की जनवरी और फरवरी में लगाई गई फसल की कटाई दो बार यानी जून और अक्टूबर के महीनों में की जाती है। पहली फसल की कटाई 100-120 दिनों के विकास के बाद की जाती है और दूसरी कटाई पहली कटाई के करीब 80-90 दिनों के बाद की जाती है। कटाई के चरण में ताजा जड़ी-बूटियों में 0.5 से 0.68% तेल होता है। मुरझाई हुई फसल को तेज धूप वाले दिनों में दरांती की मदद से जमीन से 10 सेमी ऊपर काटा जाता है, क्योंकि बादल या बारिश के दिनों में कटाई करने से तेल में मेंथॉल की मात्रा कम हो जाती है।
पुदीना की खेती से मुनाफा Profit from mint cultivation: पुदीना की बाज़ारों अच्छी डिमांड रहती है और किसान इससे अच्छी कमाई भी कर सकते हैं। यदि इसकी सही तरीके से खेती की जाए तो इससे लाखों रुपए भी की कमाई की जा सकती है। बाजार में इसका भाव 100 से 150 रुपये किलो बिकता है। एक हेक्टेयर में एक किसान एक लाख रुपये से सवा लाख रुपये का मुनाफा उठा लेते हैं।