उत्तर भारत के कई इलाकों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में तो कोहरे के साथ ही शीतलहर भी चल रही है। ऐसे में किसानों के सामने अपनी फसल को शीतलहर और पाले से बचाने की चुनौती है। किसान इस खबर में यह जान सकते हैं कि अगर पाला काफी गिर जाए या शीतलहर चल रही हो तो किस तरह अपनी फसल और सब्जियों को बचाया जाए क्योंकि इस समय कई इलाकों में किसान गेहूं की बुआई में भी जुटे हुए हैं।
जब भी कभी ठंड के मौसम में शीतलहर और पाला गिरने की आशंका हो तो ऐसे में किसानों के सामने अपनी फसल को बचाने को लेकर समस्या आ जाती है। इस बारे में कृषि विशेषज्ञों की मानें तो किसानों को ऐसी स्थिति में अपनी फसल में हल्की सिंचाई करनी चाहिए। शीतलहर या पाला गिरने के दौरान फसल में हल्की सिंचाई करने से फसलों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। सिंचाई करने से 0-5 डिग्री सेल्सियस से 2 डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोतरी होने की संभावना होती है।
पौधों को बचाने के लिए करें ये काम: नर्सरी में लगे छोटे पौधों को भी शीतलहर या पाले से नुकसान होता है। ऐसे में किसानों को पौधों को बचाने के लिए रात में उनके ऊपर प्लास्टिक या तिरपाल की चादर बिछाई जानी चाहिए। इसका काफी सकारात्मक असर देखने को मिलता है। इससे प्लास्टिक के अंदर के तापमान में करीब 2.5 डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोतरी देखने को मिलती है। ऐसे में अंदर का तापमान मेंटेन रहता है और जमाव बिंदु तक नहीं पहुंच पाता और पौधे शीतलहर और पाले से बच जाते हैं। अगर प्लास्टिक या तिरपान उपलब्ध ना हो तो पुआल को इस्तेमाल करके भी पौधों को बचाया जा सकता है।
केमिकल से भी बचाव संभव: विशेषज्ञों के मुताबिक फसलों पर रसायनों का छिड़काव करके भी उन्हें बचाया जा सकता है। सलाह दी जाती है कि जिस दिन पाला पड़ने की आशंका जताई गई हो उस दिन फसलों के ऊपर सल्फर के 80 डब्ल्यूडीजी पाउडर का छिड़काव करना फायदेमंद रहता है। इसे प्रति एक एकड़ में 3 किलो के हिसाब से छिड़कना चाहिए। इसके बाद सिंचाई करनी चाहिए।