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Paddy insect: सितंबर में धान की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले इन 2 कीटों से कैसे बचें, जानिए यहाँ

धान की खेती
धान की खेती

धान, जो खरीफ की मुख्य फसल है, आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से किसानों की लाइफलाइन मानी जाती है। इस साल, खरीफ सीजन में धान की खेती 408 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में की गई है, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 15 लाख हेक्टेयर अधिक है। हालांकि, अच्छी उपज की उम्मीद के बावजूद, फसल की सुरक्षा पर ध्यान देना जरूरी है, खासकर कीटों और रोगों से बचाव के लिए।

सितंबर में धान की फसल बालियां बनने की प्रक्रिया में होगी, और इस दौरान कुछ घातक कीटों और रोगों का हमला हो सकता है। किसानों को इन कीटों की नियमित निगरानी करनी चाहिए और कीट या रोग के लक्षण दिखने पर तुरंत रोकथाम के उपाय अपनाने चाहिए।

स्टेम बोरर (तना छेदक) से बचाव Protection against stem borer:

स्टेम बोरर सूखी और ऊंची जमीन पर बोई गई फसल में अधिक प्रकोप करता है। यह कीट धान के तने को खाकर उसे नुकसान पहुंचाता है, जिससे बालियां सूख जाती हैं और तना समेत बालियां आसानी से गिर जाती हैं। इसके अधिक प्रकोप से फसल को 100% तक की क्षति हो सकती है। 

स्टेम बोरर से बचाव के उपाय Measures to prevent stem borer:

  1. खेत में 5-6 फेरोमोन ट्रैप लगाएं।
  2. अंडा परजीवी ट्राइकोग्रामा जैपोनिकम का 5 सीसी का हर हफ्ते तीन बार उपयोग करें।
  3. कीट के अधिक प्रकोप पर कारटैप हाइड्रोक्लोराइड 4G या फिप्रोनिल 0.3G का 4 किलोग्राम प्रति एकड़ उपयोग करें, या क्लोरोपायरीफॉस 20 EC या कारटैप हाइड्रोक्लोराइड 50 SP का 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

गंधी बग से बचाव Stiff bug protection:

जब धान की बालियां दूधिया अवस्था में होती हैं, तब गंधी बग कीट पौधों से रस चूसकर नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे दानों पर भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं और दाने खोखले रह जाते हैं।

गंधी बग से बचाव के उपाय Measures to prevent smelly bug:

  1. खेत की नियमित निगरानी करें और मेड़ों पर उगे घास को साफ करें।
  2. यदि कीटों की संख्या 5 प्रति गुच्छा हो जाए, तो मिथाइल पाराथियॉन 5% या क्लोरोपायरीफॉस 5% का छिड़काव करें।
  3. बालियों की शुरुआत में, क्लोरोपायरीफॉस 20 EC या ऑक्सीडीमेटॉन मिथाइल 20 EC का 1 लीटर प्रति एकड़ छिड़काव करें।

फसल की सुरक्षा के सुझाव Crop protection tips:

  1. सितंबर में फसल की सभी अवस्थाओं की नियमित निगरानी करें और कीटों तथा रोगों की प्रारंभिक पहचान पर सुरक्षात्मक छिड़काव करें।
  2. यूरिया का उपयोग आवश्यक मात्रा में ही करें।
  3. कीटनाशकों का उपयोग केवल आर्थिक स्तर पर कीटों के नियंत्रण के लिए करें।
  4. दवाओं का छिड़काव सुबह या शाम को करें, और यदि वर्षा की संभावना हो तो रुक जाएं।
  5. निर्यात के लिए धान उगाने की स्थिति में बालियां बनने की अवस्था पर कीटनाशकों का छिड़काव न करें।

इन सुझावों का पालन करने से किसान अपनी धान की फसल को कीट और रोगों से होने वाले भारी नुकसान से बचा सकते हैं।
 

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