मिट्टी जांच से उपज बढ़ाने का तरीका
By khetivyapar
पोस्टेड: 30 Mar, 2025 12:00 AM IST Updated Sun, 30 Mar 2025 10:33 AM IST
किसान अपनी फसलों की अच्छी पैदावार के लिए कई उपाय अपनाते हैं, लेकिन मिट्टी की जांच (Soil Testing) सबसे जरूरी और फायदेमंद तरीका है। फसल कटाई के बाद मिट्टी की जांच कराने से यह पता चलता है कि उसमें कौन से पोषक तत्व कम हैं और कौन से अधिक। इस आधार पर किसान सही उर्वरकों का चयन कर सकते हैं, जिससे उनकी फसल की गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ता है।
मिट्टी जांच के फायदे Benefits of soil testing:
- सही पोषक तत्वों की पहचान: यह प्रक्रिया बताती है कि मिट्टी में कौन से पोषक तत्व की कमी है, जिससे संतुलित मात्रा में उर्वरकों का उपयोग किया जा सकता है।
- रासायनिक उर्वरकों का सही उपयोग: बिना जांच के अधिक मात्रा में उर्वरक डालने से मिट्टी की सेहत खराब हो सकती है। मिट्टी की सही स्थिति जानकर तय किया जा सकता है कि कितनी मात्रा में उर्वरक डालना उचित रहेगा।
- कृषि लागत में बचत: सही उर्वरक चुनने से किसानों का खर्च कम होता है, क्योंकि वे अनावश्यक उर्वरकों पर पैसे खर्च नहीं करेंगे।
मिट्टी जांच के लिए नमूना कैसे लें How to take sample for soil testing?
- खेत के अलग-अलग 8-10 स्थानों से 6 इंच गहराई तक मिट्टी लें।
- सभी नमूनों को अच्छी तरह मिलाकर आधा किलो मिट्टी अलग करें।
- नमूना सूखा होना चाहिए और इसे साफ थैली में भरकर प्रयोगशाला भेजें।
कहां कराएं मिट्टी की जांच: किसान कृषि विभाग द्वारा संचालित मिट्टी जांच प्रयोगशालाओं में मात्र ₹100-110 में अपनी मिट्टी की जांच करा सकते हैं।
मिट्टी की जांच से किसानों को उनकी जमीन की सही स्थिति का पता चलता है, जिससे वे बेहतर और अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं। यह न केवल फसल की गुणवत्ता में सुधार लाता है बल्कि लागत को भी नियंत्रित करता है। इसलिए हर किसान को बुवाई से पहले और कटाई के बाद मिट्टी की जांच जरूर करानी चाहिए।
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