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सामान्यत पर किसान धान की सीधी बुआई में 80-90 किग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर प्रयोग करते हैं, जो कि सही नही है। बीज दर को कम करके उत्पादन लागत को कम किया जा सकता है। सीधी बुवाई विधि के लिए 45 से 50 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर उपयोग करना चाहिए। लेकिन बीज प्रमाणित हो और उनकी जमाव क्षमता 80-85 प्रतिशत होना चाहिए। अंकुरण क्षमता कम होने पर बीज दर बढ़ा लेना आवश्यक है। बुवाई से पूर्व धान के बीजों का उपचार अति आवश्यक है। धान की बुवाई 8 किलोग्राम धान का बीज प्रति एकड़ खेत में लगता है।
धान की बुआई जीरी ड्रिल और लक्की ड्रिल से कतार से कतार की दूरी करीब 8-9 इंच के आसपास करें और बीज की गहराई करीब डेढ़ इंच के आसपास रखें। बिजाई करने के बाद फिर हल्का पाटा चलायें, जिससे एक हफ्ते के अंदर अंकुरण हो जाता है। यदि आप लक्की ड्रिल से बुआई कर रहे है तो उसमे शाकनाशी पेंडिमेथालिन दवा डाल सकते हैं। बुवाई के दूसरे तरीके से गेहूं की कटाई के बाद खेत की जुताई करके लेजर लेवेलर चलाते हैं। लेजर लेवेलर चलाने के बाद ड्रिल से धान की बिजाई कर देते हैं। फिर पानी लगाते है। पानी लगाने के एक हफ्ते के अंदर अंकुरण हो जाता है। कम गहराई पर बीज लगाना चाहिए क्योकि पानी लगने के दौरान ज्यादा गहराई वाले बीज के अंकुरण में दिक्कत होगी और बीज नीचे दब कर सड़ भी सकता है। बुआई के तुरंत बाद जब खेत चलने लायक हो जाए तो खरपतवार नाशी पेंडिमेथालिन दवा का उपयोग करे। इसके लिए 1200 से लेकर 1500 मिलीलीटर दवा 200 से 250 लीटर पानी में घोल कर बुआई के तुरंत बाद छिलकाव करना चाहिए।
धान के बीज का उपचार करने के लिए 1 किलोग्राम नमक 10 लीटर पानी में घोलकर और इसमें 8 किलोग्राम बीज डालें और थोड़ी देर एक डंडे से हिलाते जायें जिससे हल्के बीज ऊपर तैरने लग जाएँगे। हल्के बीजों को निकाल कर बाहर कर दें। डूबे हुए बीज को निकालकर पानी से तीन चार बार अच्छी तरह धो लें ताकि नमक का प्रभाव समाप्त हो जाए। इसके बाद बीज उपचार के लिए स्ट्रेप्टोसाइक्लिन की 2 ग्राम मात्रा और बाविस्टीन की 20 ग्राम मात्रा 10 लीटर पानी में घोल कर 8 किलो छठे हुए बीज को इस घोल में डुबो कर 24 घंटे रखिए। 24 घंटे के बाद बीज को बाहर निकालिए और उसको छाय में अच्छी तरह से सुखा लीजिए। अब यह बीज बुआई के लिए तैयार है।