भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) नियमित रूप से साप्ताहिक, मासिक और त्रैमासिक मौसम पूर्वानुमान जारी करता है। पहले ही विभाग ने फरवरी के मौसम को खेती-किसानी के लिए अनुकूल न रहने की संभावना जताई थी। इस महीने तापमान सामान्य से अधिक रहने और वर्षा सामान्य से कम होने का पूर्वानुमान था, जो अब तक काफी हद तक सही साबित हो रहा है। इसी के तहत मौसम विभाग के एग्रोमेट डिवीजन ने कुछ राज्यों में अनाज और बागवानी फसलों को लेकर आवश्यक सलाह जारी की है, साथ ही दो राज्यों में पशुधन प्रबंधन को लेकर भी दिशा-निर्देश दिए हैं।
अगले सात दिनों तक संभावित बारिश और बर्फबारी को देखते हुए, एग्रोमेट ने अरुणाचल प्रदेश के किसानों को धान की कटाई टालने की सलाह दी है। वहीं, पहले से काटी गई फसल को सुरक्षित रखने के लिए उसे अच्छी तरह ढककर भंडारित करने का सुझाव दिया गया है। इसके अलावा, चावल, सरसों और अन्य खड़ी फसलों के खेतों में जलभराव रोकने के लिए उचित निकासी की व्यवस्था करने की भी सलाह दी गई है।
पश्चिमी हिमालयी क्षेत्रों, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में 22 फरवरी तक भारी वर्षा और बर्फबारी की संभावना जताई गई है। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए, एग्रोमेट ने किसानों से गेहूं, सरसों, दलहन, सब्जियों और बागवानी फसलों के खेतों से अतिरिक्त पानी निकालने की व्यवस्था करने को कहा है ताकि जलभराव से फसलें खराब न हों। इसके अलावा, जिन फसलों की कटाई हो चुकी है, उन्हें सुरक्षित स्थानों पर रखने की सलाह दी गई है।
बागवानी फसलों को यांत्रिक सहारा देने और सब्जियों की बेल वाली फसलों को सहारा देने की भी सलाह दी गई है। वहीं, भारी बारिश के दौरान पशुओं को सुरक्षित स्थानों या शेड में रखने और उन्हें संतुलित चारा उपलब्ध कराने का सुझाव दिया गया है। चारे को नमी से बचाने के लिए सूखी और सुरक्षित जगह पर रखने की भी सलाह दी गई है।
शीतलहर के दिन घटे, ला नीना की स्थिति बनी हुई है: मौसम विभाग के अनुसार, भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में ला नीना की स्थिति अभी भी कमजोर बनी हुई है, जो अप्रैल 2025 तक जारी रह सकती है। इसी कारण इस साल भारत में सर्दी ज्यादा कड़ाके की नहीं रही और शीतलहर के दिनों की संख्या भी सामान्य से कम रही। फरवरी में भी अधिकांश हिस्सों में शीतलहर सामान्य दायरे में रहने की संभावना है, हालांकि उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ इलाकों में शीतलहर के दिन सामान्य से भी कम रह सकते हैं।