हिमाचल प्रदेश के एक दूरदर्शी किसान, श्री हरिमन शर्मा, को भारतीय कृषि में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। उन्होंने एक अभिनव, स्व-परागण वाली, कम ठंडक में फलने वाली सेब की किस्म HRMN-99 विकसित की है, जिसने देश में सेब की खेती का परिदृश्य बदल दिया है।
वाणिज्यिक सेब की किस्में, जो सामान्यतः समशीतोष्ण जलवायु और लंबे समय तक ठंडे मौसम की आवश्यकता रखती हैं, के विपरीत, HRMN-99 गर्म क्षेत्रों, उप-उष्णकटिबंधीय और मैदानी इलाकों में 40-45°C तापमान पर भी फलती-फूलती है। इसने उन क्षेत्रों में सेब की खेती को संभव बनाया है जहां पहले इसे असंभव माना जाता था।
NIF ने इस किस्म की विशिष्टता को प्रमाणित किया और इसके परीक्षण और मूल्यांकन के लिए ICAR संस्थानों, कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs), कृषि विश्वविद्यालयों और विभिन्न राज्य कृषि विभागों के साथ मिलकर सहयोग किया। इन प्रयासों के माध्यम से, यह किस्म बिहार, झारखंड, मणिपुर, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, दादरा और नगर हवेली, कर्नाटक, हरियाणा, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, केरल, उत्तराखंड, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, पुडुचेरी, हिमाचल प्रदेश और नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन समेत 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तक पहुंच गई।
HRMN-99 किस्म अपनी लाल धारियों वाले पीले छिलके, मुलायम और रसीले गूदे, और प्रति पौधा 75 किलोग्राम तक फल देने की क्षमता के लिए जानी जाती है। इसने पूरे भारत में हजारों किसानों को सशक्त बनाया है। NIF ने इसके वाणिज्यिक प्रसार को भी बढ़ावा दिया और राज्य कृषि विभागों तथा उत्तर-पूर्वी क्षेत्र सामुदायिक संसाधन प्रबंधन परियोजना (NERCORMP) के सहयोग से इस किस्म को उत्तर-पूर्वी राज्यों में बड़े पैमाने पर पहुंचाया। अब तक, इस क्षेत्र में एक लाख से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय का साधन मिल रहा है।
राष्ट्रीय चुनौतियों के समाधान में योगदान: श्री हरिमन शर्मा की इस असाधारण खोज ने न केवल भारत में सेब की खेती को बदल दिया है बल्कि किसानों को अतिरिक्त आय और बेहतर पोषण तक पहुंच प्रदान की है। उन्होंने सेब को, जिसे पहले "अमीरों का फल" माना जाता था, आम आदमी की पहुंच में ला दिया है। उनके प्रयासों को पद्म श्री पुरस्कार के माध्यम से मिली मान्यता, राष्ट्रीय चुनौतियों का समाधान करने और सतत आजीविका सृजन में जमीनी स्तर पर नवाचारों की शक्ति को प्रमाणित करती है।