सरकार भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (DA&FW) के माध्यम से जलवायु अनुकूल कृषि तकनीकों के विकास और विस्तार पर कार्य कर रही है। राष्ट्रीय नवाचार जलवायु अनुकूल कृषि (NICRA) परियोजना के तहत सूखा, बाढ़, लू, पाला जैसी चरम मौसम परिस्थितियों से निपटने के लिए जलवायु अनुकूल कृषि तकनीकों का विकास और प्रसार किया जा रहा है। इसमें रणनीतिक अनुसंधान, तकनीक प्रदर्शन और क्षमता निर्माण के तीन प्रमुख घटक शामिल हैं।
ICAR ने अत्यधिक मौसम अनुकूल फसल किस्मों, जलवायु संवेदनशील जिलों की पहचान, कृषि प्रबंधन तकनीकों और जलवायु अनुकूल पशुपालन व मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA) के तहत 'पर ड्रॉप मोर क्रॉप', 'वर्षा आधारित कृषि विकास' और 'मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन' जैसी योजनाएं लागू की जा रही हैं।
ICAR द्वारा समेकित कृषि प्रणाली (AICRP-IFS) कार्यक्रम के तहत 25 राज्यों में वैकल्पिक और कुशल फसल प्रणाली विकसित की जा रही है। प्रधानमंत्री-राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में धान की खेती को कम कर दालों, तिलहन, मोटे अनाज और कृषि वानिकी को बढ़ावा देने की योजना लागू की गई है। इसके अलावा, आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में तंबाकू की खेती से अन्य फसलों की ओर बदलाव के प्रयास किए जा रहे हैं।
सरकार ने 2015-16 से 'पर ड्रॉप मोर क्रॉप' (PDMC) योजना लागू की है, जो खेत स्तर पर जल उपयोग दक्षता बढ़ाने के लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई को प्रोत्साहित करती है। इस योजना के तहत छोटे और सीमांत किसानों को 55% तथा अन्य किसानों को 45% वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
कृषि विज्ञान केंद्रों की भूमिका: देशभर के 731 कृषि विज्ञान केंद्र (KVKs) जलवायु अनुकूल कृषि तकनीकों के प्रदर्शन और विस्तार पर कार्य कर रहे हैं। 151 जोखिमग्रस्त जिलों में KVKs द्वारा NICRA परियोजना के तहत विशेष प्रयास किए जा रहे हैं, जहां जलवायु संकट से निपटने के लिए ग्राम स्तरीय जलवायु जोखिम प्रबंधन समितियां, बीज और चारे के भंडार एवं कृषि उपकरण किराए पर देने वाले केंद्र स्थापित किए गए हैं।
ये भी पढें- धान, गेहूं, मक्का, मूंगफली और सोयाबीन का रिकॉर्ड उत्पादन