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आईसीएआर द्वारा विकसित मसूर की 3 नई उन्नत किस्में, जानिए इन किस्मों के बारे में विस्तार से

सूखा प्रतिरोधी मसूर की किस्में
सूखा प्रतिरोधी मसूर की किस्में

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में मसूर की 3 नई उन्नत किस्में लॉन्च की हैं, जो विशेष रूप से उच्च उपज और बेहतर फायदेमंद वाली होती है। ये नई किस्में भारतीय किसानों को कठिन मौसम के लिए उच्च उपज देगी। इन उन्नत किस्मों के माध्यम से किसान अपनी उपज और आय दोनों को बढ़ा सकते हैं, साथ ही बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता से फसल की गुणवत्ता भी बेहतर बनी रहती है। आइए जानते हैं मसूर की इन किस्मों की खासियत उपज और मिलने वाले लाभ के बारे में।

पंत मसूर 14 (पीएल 320) Pant Masur 14 (PL 320):

पंत मसूर 14 (पीएल 320) पंतनगर मसूर की एक उन्नत वेरायटी है। मसूर की इस खास किस्म को उत्तराखंड स्थित जी.बी. पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा विकसित यह किस्म, आईसीएआर-एआईसीआरपी ऑन पल्सेज द्वारा प्रमाणित है। यह किस्म पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर-पश्चिम और मध्य राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों और जम्मू-कश्मीर के लिए उपयुक्त है। यह रबी मौसम में समय बोई जाने वाली सिंचित और वर्षा पर आधारित खेती के लिए तैयार किया गया है। इस किस्म की औसत उपज 15.55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और यह 128 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसके बीजों में प्रोटीन की मात्रा 25.72% पाई जाती है। यह जंग, स्टेमफिलियम ब्लाइट, और मुरझाने की बीमारी (विल्ट) के प्रति प्रतिरोधी है, साथ ही यह पॉड बोरर और एफिड के प्रति भी मध्यम प्रतिरोधक क्षमता रखती है।

कोटा मसूर 6 (आरकेएल 20-26D) Kota Masoor 6 (RKL 20-26D):

मसूर की यह किस्म राजस्थान के कोटा स्थित कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई है, जो उत्तर-पश्चिम मैदानी क्षेत्र और मध्य भारत के लिए उपयुक्त है। यह रबी मौसम में सामान्य वर्षा पर आधारित बुवाई के लिए खासतौर पर तैयार की गई है। इस किस्म की उपज उत्तर-पश्चिम मैदानी क्षेत्र में 17.37 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और मध्य क्षेत्र में 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसकी पकने की अवधि उत्तर-पश्चिम मैदानी क्षेत्र में 125 दिन और मध्य क्षेत्र में 111 दिन है। इसके बीजों में 21.07% प्रोटीन है और यह जंग और मुरझाने की बीमारी के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है।

पीएसएल-17 मसूर PSL-17 Lentils:

आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के अनुवांशिकी विभाग द्वारा विकसित यह किस्म विशेष रूप से दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए उपयुक्त है। यह खारी भूमि की स्थिति में भी अच्छा उत्पादन देती है। इस किस्म की औसत उपज 12.95 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और यह 125 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसके बीजों में आयरन की मात्रा 68.0 पीपीएम, जिंक की मात्रा 41 पीपीएम और प्रोटीन की मात्रा 28.8% है।

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