हाल ही में 27 दिसंबर 2024 को कुछ मीडिया रिपोर्टों में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) में कृषि वैज्ञानिकों की नियुक्तियों में "अनियमितताओं" का आरोप लगाया गया है और जांच की मांग की गई है। इन आरोपों को पूरी तरह से निराधार और भ्रमित करने वाला बताया गया है। इस लेख में हम इन आरोपों का सही तथ्यों के साथ खंडन करेंगे और ICAR के दृष्टिकोण को स्पष्ट करेंगे।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के तहत एक प्रमुख वैज्ञानिक संगठन है, जो कृषि अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार गतिविधियों का संचालन करता है। ICAR का उद्देश्य भारतीय कृषि को प्रौद्योगिकी, विज्ञान और अनुसंधान के माध्यम से सशक्त बनाना है। ICAR के संचालन को इसके निर्धारित नियमों और आचार संहिता द्वारा नियंत्रित किया जाता है, और इसके अध्यक्ष कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री होते हैं।
ICAR ने उन आरोपों का खंडन किया है जो हाल ही में मीडिया में सामने आए हैं। इन आरोपों में कहा गया था कि ICAR में कृषि वैज्ञानिकों की नियुक्तियों में अनियमितताएँ हुई हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि सभी नियुक्तियाँ पूरी पारदर्शिता और मान्यता प्राप्त योग्यताओं के अनुसार की गई हैं। इन नियुक्तियों में कोई भी गड़बड़ी या बदलाव नहीं किया गया है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), नई दिल्ली के निदेशक के पद की नियुक्ति प्रक्रिया में कोई असामान्यता नहीं है। हालाँकि कुछ मीडिया रिपोर्टों में यह दावा किया गया कि इस पद के लिए योग्यताओं में बदलाव हुआ है, लेकिन यह पूरी तरह से गलत है। निदेशक पद के लिए आवश्यक योग्यताएँ (EQs) पहले की तरह हैं, जो 2019 में निर्धारित की गई थीं। पिछले निदेशक डॉ. ए. के. सिंह ने भी इसी योग्यताओं के आधार पर 2019 में नियुक्ति प्राप्त की थी और उनका कार्यकाल 2024 में समाप्त हुआ।
डॉ. चेरुकुमल्ली श्रीनिवास राव की नियुक्ति: डॉ. चेरुकुमल्ली श्रीनिवास राव की IARI के निदेशक पद पर नियुक्ति में भी कोई असामान्यता नहीं है। डॉ. राव पहले राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी (NAARM), हैदराबाद के निदेशक के रूप में कार्यरत थे और उनकी नियुक्ति के बाद उन्हें पद से मुक्त किया गया। उन्होंने केवल IARI के निदेशक का पद संभाला जब उन्हें NAARM के निदेशक के पद से औपचारिक रूप से मुक्त किया गया। इस प्रक्रिया में कोई भी नियमों का उल्लंघन नहीं हुआ है और इसे सही तरीके से लागू किया गया है।
आरोपों का उद्देश्य: ICAR का कहना है कि कुछ असंतुष्ट तत्व जानबूझकर अफवाहें फैला रहे हैं ताकि संगठन की छवि को नुकसान पहुँचाया जा सके। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग व्यक्तिगत हितों के लिए गलत सूचनाओं का प्रचार कर रहे हैं। ICAR का स्पष्ट कहना है कि ऐसी अफवाहें बेबुनियाद हैं और इससे केवल संगठन की छवि को नुकसान होता है।
निष्कर्ष: समाप्त करते हुए, हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि ICAR की नियुक्ति प्रक्रियाएँ पूरी तरह से पारदर्शी और निर्धारित नियमों के अनुरूप हैं। जो आरोप लगाए गए हैं, वे न केवल तथ्यात्मक रूप से गलत हैं, बल्कि यह संगठन को बदनाम करने के प्रयासों का हिस्सा भी प्रतीत होते हैं। ICAR ने हमेशा अपने कार्यों में उच्चतम स्तर की ईमानदारी और पारदर्शिता बनाए रखी है। ऐसी किसी भी अफवाह को फैलाना गलत है और यह संगठन की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है।
हमारी अपील है कि मीडिया और जनता इन आधारहीन आरोपों को न मानें और सही जानकारी को प्राथमिकता दें।
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