विज्ञापन
IFFCO, जिसने नैनो तरल यूरिया और नैनो तरल डीएपी (डाय एमोनियम फॉस्फेट) का परिचय किया, ने कहा कि केंद्रीय सरकार ने इसके दो नए उत्पादों, नैनो तरल जिंक और नैनो तरल तांबा को लॉन्च करने की मंजूरी दी है। ये दो उत्पाद खेती में जिंक और तांबे की कमी को दूर करने में मदद करेंगे और उत्पादकता को बढ़ावा देंगे। इफको के प्रबंध निदेशक यूएस अवस्थी ने कहा, IFFCO के नैनो प्रौद्योगिकी-आधारित नवाचार कृषि क्षेत्र में एक पहचान बना रहे हैं। IFFCO का नया अविष्कार IFFCO नैनो जिंक (तरल) और IFFCO नैनो तांबा (तरल) को भारत सरकार ने 3 साल के लिए सूचित किया है। ये उत्पादों के लिए एफसीओ FCO (उर्वरक नियंत्रण आदेश) की मंजूरी भी दी गई है।
इफको नैनो डीएपी एक नैनोटेक्नोलॉजी आधारित क्रांतिकारी कृषि है जो पौधों को नाइट्रोजन और फॉस्फोरस प्रदान करता है। नैनो डीएपी तरल में नैनो नाइट्रोजन (यूरिया ऐमाइड और अमोनिया) और फास्फोरस (फॉस्फेट और पॉलीफॉस्फेट) शामिल होता है, जिसे सर्फेक्टेंट्स और फंक्शनलाइज्ड बायो-जैविक पॉलिमर्स के साथ लेपित किया जाता है। नैनो डीएपी लिक्विड, जब पौधों पर लागू किया जाता है, उनकी तत्काल आवश्यकता को नाइट्रोजन और फॉस्फोरस पूरा करता है। यह पौधों में स्रोत-छिद्र संबंध को मजबूत करता है, एंजाइमेटिक, ऊर्जा (एडीपी-एटीपी) और प्रोटीन असिमिलेशन पथ को ट्रिगर करता है। मिट्टी के माइक्रोब की गतिविधि और रूट राइजोस्फीयर की गतिविधि को सुधारता है।
नैनो यूरिया का पहला छिड़काव फसल की अंकुरण के समय या रोपाई के 30 से 35 दिन बाद तथा दूसरा छिड़काव फूल आने के 7 दिन बाद कर सकते हैं। नैनो यूरिया का 2-4 एमएल प्रति लीटर पानी 250 मिली प्रति एकड़ 125 लीटर पानी में घोलकर खड़ी फसल पर छिड़काव करना चाहिए। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार बोरी की खाद सिर्फ 30 फीसदी ही पौधों को मिल पाती है। नैनो यूरिया 85 प्रतिशत पौधों को मिलती है। स्प्रेयर के अनुसार नैनो डीएपी लिक्विड की सामान्य आवश्यकता नीचे दी गई है
नैपसैक स्प्रेयर: नैनो डीएपी लिक्विड प्रति 15-16 लीटर टैंक में 2-3 ढक्कन (50-75 मिली सामान्य रूप से 1 एकड़ फसल क्षेत्र मे डाल सकते हैं।
पावर स्प्रेयर: नैनो डीएपी प्रति 20-25 लीटर टैंक में 75-100 एमएल; 4-6 टैंक सामान्यतः 1 एकड़ फसल क्षेत्र को कवर करते हैं।
ड्रोन: नैनो डीएपी प्रति 20-25 लीटर टैंक में 75-100 एमएल; 4-6 टैंक सामान्यतः 1 एकड़ फसल क्षेत्र को कवर करते हैं।
नैनो यूरिया का प्रयोग सभी फसलों पर किया जा सकता है। फसलों की पत्तियों में स्टोमेटा खुला रहता है जो नैनो यूरिया के कण को अवशोषित करता है। पत्तियों के माध्यम से यह कण पौधे के सभी भागों में पहुंच जाता है। इफको ने देश के 20 शोध केन्द्रों एवं 11 हजार किसानों के खेतों में तकनीकि परीक्षण के बाद इस तरल उर्वरक को किसानों के लिये लान्च किया है।
मिट्टी की उर्वरता: नैनो यूरिया का तरल उर्वरक के रूप में उपयोग किया जाता है। इसके उपयोग से उर्वरक लागत में कमी व अधिक उत्पादन मिलने के साथ प्रदूषण का प्रभाव भी कम होता है। इसके प्रयोग से अन्य उर्वरकों की उपयोगिता क्षमता एवं उपज क्षमता में बढ़ोत्तरी के साथ फसल गुणवत्ता में सुधार भी देखा जा रहा है।
नैनो डीएपी के फायदे: नैनो डीएपी सभी फसलों के लिये उपलब्ध नाइट्राजन और फास्फोरस का एक स्त्रोत है। यह खड़ी फसलों में नाईट्रोजन और फास्फोरस की कमी में सुधार करता है। खेत में पोषक तत्वों की कमी को दूर करता है। फसल की वृद्धि और गुणवत्ता के साथ उपज को भी बढ़ाता है। यह डीएपी से सस्ता सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल है। खेत में उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग के कारण हो रहे मिट्टी हवा और पानी के प्रदुषण को कम करता है।
बीज उपचार और फोलियर पत्तों पर छिड़काव: नैनो डीएपी 3-5 मिली प्रति किलोग्राम बीज को आवष्यक मात्रा में पानी में घोलकर 20-30 मिनट के लिये छोड़ दें जिससे बीज की सतह पर नैनो डीएपी की परत चढ़ जायेगी फिर छांव में सुखाकर बुवाई करें।
नैनो डीएपी को 2-4 मिली प्रति लीटर पानी के साथ अच्छे पत्ते आने की अवस्था में छिड़काव करें। उच्च फास्फोरस की आवष्यकता वाली फसलों में बेहतर अंकुरण के लिये फूल आने से पहले जुताई के बाद दूसरा फोलियर स्प्रे करना चाहिए।
नैनो डीएपी का लक्ष्य: इफ्को ने कुछ वर्षों पहले नैनो-तरल यूरिया को लॉन्च किया था। इसने कुछ अन्य कंपनियों को भी नैनो यूरिया प्लांट स्थापित करने के लिए तकनीक प्रदान की है। अगस्त 2021 से फरवरी 2024 तक कुल 7 करोड़ नैनो यूरिया की बोतलें बिक गई हैं। एक बोतल नैनो यूरिया (45 किलो) के पारंपरिक यूरिया के समान है। सहकारी ने बाद में बाजार में नैनो-तरल डीएपी (डाय एमोनियम फॉस्फेट) का परिचय किया। इसने नैनो-तरल यूरिया और नैनो-तरल डीएपी के लागू करने के लिए कई ड्रोन भी खरीदे हैं। इफ्को नैनो-यूरिया और नैनो-डीएपी को निर्यात भी कर रहा है। नैनो यूरिया बिहार में वर्ष 2023-24 में नैनो यूरिया की खपत का लक्ष्य 1 करोड़ 25 लाख बोतल रखा गया है। वर्ष 2022-23 में नैनो यूरिया की खपत 28 लाख 55 हजार 860 बोतल और 2021-22 में 14 लाख 83 हजार 992 बोतल नैनो यूरिया की खपत हुई थी। इस साल 35 लाख बोतल नैनो यूरिया का लक्ष्य रखा गया है।
ये भी पढ़ें... ड्रोन से यूरिया, डीएपी का फसलों पर कैसे करें छिड़काव, इफको किसानों को देगा ट्रेनिंग