गेहूं की फसल को लेकर सरकार की अहम नीतियां
By khetivyapar
पोस्टेड: 08 Apr, 2024 12:00 AM IST Updated Mon, 30 Sep 2024 11:43 AM IST
सरकार ने गेहूं की फसल उद्योग को समर्थन और विनियमित करने के लिए विभिन्न नीतियों को लागू किया है। इन नीतियों का उद्देश्य खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, उपभोक्ताओं के लिए स्थिर मूल्य बनाए रखना और किसानों को सहायता प्रदान करना है। कुछ प्रमुख नीतियों में ये शामिल हैं। ये नीतियां गेहूं फसल उद्योग के समग्र विकास और स्थिरता में योगदान करती हैं, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं और देश भर के लाखों किसानों की आजीविका का समर्थन करती हैं।
किसान भाइयों को इसको जरूर जानना चाहिए। Khetivyapar.com आपको इनके बारे में संक्षेप में बताने जा रहा है।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP): भारत सरकार गेहूं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य से यह सुनिश्चत करती है कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले। इससे कीमतों को स्थिर करने में मदद मिलती है और किसान अधिक उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS): PDS एक सरकारी कार्यक्रम है जो यह सुनिश्चित करता है कि देश भर में कम आय वाले परिवारों को गेहूं सहित किफायती खाद्यान्न उपलब्ध हो। इससे कीमतों को नियंत्रित करने और जरूरतमंद आबादी तक पहुंचने में मदद मिलती है।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA): 2013 में अधिनियमित, NFSA का उद्देश्य भारतीय आबादी के लगभग दो-तिहाई हिस्से को सब्सिडी वाला खाद्यान्न उपलब्ध कराना है। इसमें गेहूं भी शामिल है, जो भारत में एक मुख्य भोजन है और स्थिर कीमतों को बनाए रखने में मदद करता है।
- मूल्य स्थिरीकरण कोष (PSF): PSF सरकार द्वारा गेहूं सहित आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को स्थिर करने के लिए बनाया गया एक कोष है। यह मूल्य स्थिरता बनाए रखने और मूल्य में उतार-चढ़ाव के समय पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद करता है।
- भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) और राष्ट्रीय थोक हैंडलिंग निगम (NBHC): ये संगठन गेहूं की खरीद, भंडारण और वितरण में शामिल हैं। वे एक सुचारू आपूर्ति श्रृंखला बनाए रखने और किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने में मदद करते हैं।
- फसल बीमा योजनाएं: सरकार ने प्राकृतिक आपदाओं या अन्य अप्रत्याशित परिस्थितियों के कारण फसल के नुकसान के खिलाफ किसानों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के लिए विभिन्न फसल बीमा योजनाएं शुरू की हैं। इससे गेहूं की खेती से जुड़े वित्तीय जोखिमों को कम करने में मदद मिलती है।
- प्रौद्योगिकी और अनुसंधान सहायता: सरकार गेहूं की फसल सुधार सहित कृषि क्षेत्र में अनुसंधान और विकास का समर्थन करती है। इससे उत्पादकता बढ़ाने और लचीली फसल किस्मों को विकसित करने में मदद मिलती है।