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नवीकरणीय ऊर्जा में भारत का रिकॉर्ड विकास, सौर, पवन और ग्रीन हाइड्रोजन का योगदान

सौर ऊर्जा
सौर ऊर्जा

भारत ने अपनी स्थायी भविष्य की यात्रा में नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) क्षेत्र में अद्वितीय प्रगति की है। 2024 में सौर और पवन ऊर्जा में ऐतिहासिक विकास, नीतिगत सुधार और बुनियादी ढांचे में सुधार ने 2025 के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की नींव रखी। 2030 तक 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा क्षमता हासिल करने के साथ भारत स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर है। 20 जनवरी 2025 तक भारत की कुल गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता 217.62 गीगावॉट तक पहुंच चुकी है।

सौर ऊर्जा में रिकॉर्ड वृद्धि:

2024 में भारत ने 24.5 गीगावॉट सौर ऊर्जा और 3.4 गीगावॉट पवन ऊर्जा क्षमता जोड़ी, जो 2023 की तुलना में सौर ऊर्जा स्थापना में दोगुने से अधिक और पवन ऊर्जा में 21% वृद्धि दर्शाता है। यह वृद्धि सरकारी प्रोत्साहन, नीतिगत सुधार और घरेलू सौर पैनल व पवन टरबाइन निर्माण में बढ़े निवेश के कारण हुई।

सौर ऊर्जा 2024 में नवीकरणीय ऊर्जा के कुल स्थापित क्षमता में 47% का योगदान करती रही। पिछले वर्ष 18.5 गीगावॉट यूटिलिटी-स्केल सौर ऊर्जा स्थापित की गई, जो 2023 की तुलना में लगभग 2.8 गुना अधिक थी। राजस्थान, गुजरात, और तमिलनाडु ने 71% यूटिलिटी-स्केल सौर ऊर्जा स्थापना के साथ बेहतरीन प्रदर्शन किया।

रूफटॉप सोलर ऊर्जा में बढ़ोतरी:

रूफटॉप सोलर सेक्टर ने भी 2024 में 4.59 गीगावॉट नई क्षमता जोड़ते हुए 2023 की तुलना में 53% की वृद्धि दर्ज की। पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना, जो 2024 में शुरू की गई, इस वृद्धि में अहम भूमिका निभाई, जिसमें दस महीने के भीतर 7 लाख रूफटॉप सोलर इंस्टॉलेशन पूरे किए गए।

पवन ऊर्जा और ऑफ-ग्रिड सौर ऊर्जा में बढ़त: ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा पहुंच के उद्देश्य को पूरा करते हुए, 2024 में ऑफ-ग्रिड सौर ऊर्जा ने 1.48 गीगावॉट नई क्षमता जोड़ी, जो 182% की वृद्धि दर्शाती है। 2024 में 3.4 गीगावॉट नई पवन ऊर्जा क्षमता जोड़ी गई। गुजरात (1,250 मेगावॉट), कर्नाटक (1,135 मेगावॉट), और तमिलनाडु (980 मेगावॉट) ने कुल पवन ऊर्जा वृद्धि में 98% का योगदान दिया।

ग्रीन हाइड्रोजन का विकास: सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन नीतियों के विकास पर जोर दिया ताकि लागत कम की जा सके और इस उभरते क्षेत्र में निवेश आकर्षित किया जा सके। घरेलू सौर पीवी और पवन टरबाइन निर्माण को बढ़ावा दिया गया, जिससे भारत वैश्विक आरई निर्माण हब बनने की ओर बढ़ रहा है। ग्रिड इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार: नवीकरणीय-समृद्ध राज्यों जैसे राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश से ऊर्जा को ग्रिड तक पहुंचाने के लिए इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम में बड़े निवेश प्रस्तावित किए गए।

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