विज्ञापन
उद्योगपति सर रतन टाटा और टाटा संस के चेयरमैन बुधवार रात 11 बजे के करीब मुंबई में 86 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। आज भारत ने अपना सबसे बड़ा अनमोल रत्न खो दिया जिससे देशभर में शोक की लहर छा गई है।
09 अक्टूबर बुधवार को देश के विख्यात उद्योगपति रतन टाटा का निधन हो गया। उनको उम्र संबंधी समस्या थी, जिसका ईलाज कराने के लिये ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थे। दुनियाभर के राजनेता, अभिनेता और उद्योगपति भारत के रत्न को अलविदा कर रहे हैं। रतन टाटा बेहद दरिनयादिल व्यक्ति के साथ एक साधारण इंसान की तरह जीवन जीते थे और उनके योगदान ने न केवल टाटा ग्रुप को बल्कि हमारे देश ढांचे को भी नया आकार दिया है।
सर टाटा रतन का जन्म 28 दिसबंर 1937 को मुंबई में हुआ था। जब रतन टाटा 10 साल के थे तब उनके माता-पिता अलग हो गये थे, उसके बाद उन्हें उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने उनका पालन-पोषण कर गोद ले लिया था। रतन टाटा स्कूल के बाद अमेरिकी की कार्नेल यूनिवर्सिटी में पढ़ने चले गये यहां उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री ली। दादी नवाजबाई की तबियत खराब होने पर टाटा जी को भारत वापस लौटना पड़ा। जब जेआरडी टाटा ने 1991 में टाटा संस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया, तब उन्होंने रतन को अपना उत्तराधिकारी बनाया। उनके 21 वर्ष की आयु के दौरान टाटा टी को टेटली, टाटा मोटर्स को जगुआर लैंड रोवर और टाटा स्टील को कोरस का अधिग्रहरण करने के लिये प्रेरित किया और वैश्विक व्यवसाय को 50 गुना बढ़ा दिया।
1991 में 5-7 बिलियन डालर कमाने वाली कंपनी साल 2016 में बढ़कर 103 बिलियन डालर हो गई। टाटा समूह 121 देशों में शामिल हैं और यह आठ लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार देता है। टाटा समूह की मुख्य इन्वेस्टमेंट होल्डिंग कंपनी टाटा संस है। उसका लाभ टाटा ट्रस्ट को जाता है, जो धर्म, अनाथालयों के कार्यों में जाता है।
एक जगमगाता हुआ सूरज हमेशा के लिए डूब गया, रतन टाटा के निधन से संपूर्ण राष्ट्र में शोक छाया हुआ है। रतन टाटा जी एक ऐसी महान शख्सियत जिसने नैतिक मूल्यों और सादगी के साथ लोंगों के दिलों में अलग पहचान बनाई है। सर रतन टाटा अक्सर कहते थे कि लोग मुझे ऐसे व्यक्ति के रूप में याद करें, जो बदलाव लाने में सफल रहा, जिसने उन वैल्यू सिस्टम और नैतिक मूल्यों को बरकरार रखा, सपर टाटा समूह बना था। वे हमेशा कहते थे कि व्यक्ति को अकेले सफलता मिल सकती है, लेकिन ऊँचाई तक पहुंचने के लिये टीम वर्क होना जरूरी है। सर रतन टाटा की जीवनी हर भारतीय के लिये एक उदाहरण है।