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नवकरणीय ऊर्जा में 5.72 लाख करोड़ का निवेश, 1.4 लाख से अधिक रोजगार के अवसर

नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में भारी निवेश
नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में भारी निवेश

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता 32 गुना बढ़ी है, जिससे भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक देश बन गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2030 तक भारत में कुल 500 गीगावाट नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है। इस विजन को साकार करने के लिए मध्यप्रदेश सौर ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। प्रदेश की नवकरणीय ऊर्जा क्षमता पिछले एक दशक में 14 गुना से अधिक बढ़ी है। राज्य सरकार की ठोस नीतियां, निवेश अनुकूल माहौल और तकनीकी नवाचार इसे ‘सूर्य देव का वरद प्रदेश’ बना रहे हैं।

नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में भारी निवेश Huge investments in renewable energy sector:

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (GIS)-भोपाल में मध्यप्रदेश की टेक्नोलॉजी एग्नोस्टिक रिन्यूएबल एनर्जी पॉलिसी के तहत बड़े पैमाने पर निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर बताया कि पिछले 10 वर्षों में भारत के अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में 70 बिलियन डॉलर का निवेश हुआ है, जिससे 10 लाख से अधिक रोजगार के अवसर सृजित हुए। राज्य सरकार नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में 5,21,279 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित कर रही है, जिससे 1,46,592 नए रोजगार सृजित होंगे। जीआईएस-भोपाल में अवाडा एनर्जी, एमकेसी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, एक्सिस एनर्जी वेंचर, एनएसएल रिन्यूएबल पॉवर प्राइवेट लिमिटेड, टोरेंट पॉवर और जिंदल इंडिया रिन्यूएबल एनर्जी जैसी प्रमुख कंपनियों ने निवेश प्रस्ताव प्रस्तुत किए हैं।

2030 तक 20 गीगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य: मध्यप्रदेश सरकार वर्ष 2030 तक प्रदेश की नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता को 20 गीगावाट (20,000 मेगावाट) तक पहुंचाने के लक्ष्य पर कार्य कर रही है। वर्तमान में प्रदेश में 5 बड़ी सौर परियोजनाएं संचालित हैं, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 2.75 गीगावाट (2,750 मेगावाट) है।

किसानों के लिए ऊर्जा आत्मनिर्भरता Energy Self-Sufficiency for Farmers:

मध्यप्रदेश सरकार किसानों को अतिरिक्त आय और ऊर्जा आत्मनिर्भरता प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री कुसुम योजना को बढ़ावा दे रही है। कुसुम-ए योजना के तहत अब तक 1490 मेगावाट क्षमता के संयंत्र स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 570 मेगावाट क्षमता के संयंत्रों का चयन किया जा चुका है। इनमें से 39 मेगावाट क्षमता के संयंत्र पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं। कुसुम-सी योजना में अब तक 3000 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं स्वीकृत की जा चुकी हैं, जिनमें से 529 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं में 40 मेगावाट संयंत्र स्थापित हो चुके हैं।

मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना: राज्य सरकार अगले तीन वर्षों में 30 लाख किसानों को सौर पंप उपलब्ध कराने का लक्ष्य लेकर चल रही है, जिससे कृषि कार्यों में ऊर्जा लागत में कमी आएगी और किसानों की आय में वृद्धि होगी।

पीएम-सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना: प्रधानमंत्री श्री मोदी ने वर्ष 2026 तक देश के 1 करोड़ घरों में सौर संयंत्र लगाने का लक्ष्य तय किया है। अब तक 10 लाख से अधिक घरों में सौर ऊर्जा का उपयोग किया जा रहा है। मध्यप्रदेश इस योजना में अग्रणी राज्य बन रहा है।

भारत के 'नेट ज़ीरो कार्बन' लक्ष्य में मध्यप्रदेश का योगदान: भारत के ‘नेट ज़ीरो कार्बन’ लक्ष्य (वर्ष 2070) को प्राप्त करने में मध्यप्रदेश की पहल महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। आने वाले वर्षों में प्रदेश न केवल अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करेगा, बल्कि अन्य राज्यों को भी ऊर्जा आपूर्ति करने में सक्षम बनेगा। नवकरणीय ऊर्जा के इस बढ़ते प्रभाव से मध्यप्रदेश सतत विकास और हरित ऊर्जा क्रांति में अपनी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

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