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विश्व के कृषि उद्योग क्षेत्र में सेंसर उपकरणों द्वारा दी जा रही सूचना और साथ में लाभदायक जानकारी कृषि क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर स्थापित कर रही है। भारत में भी कृषि अर्थव्यवस्था में सेंसर तकनीक का लाभ उठाया जा सकता है जिसके परिणाम कृषि उत्पादक क्षेत्र में लाभदायक हो सकते हैं। विषाल खेती और उसकी तेजी से वृद्धि के कारण जो कि उर्वरक और रासायनिक खादों के व्यापक उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। पानी की संसाधनों पर भी इसका असर देखा जा सकता है। भारत के विषाल समुदाय की खाद्य मांग आगामी वर्षों में त्वरित गति से बढ़ने की उम्मीद हैै। कृषि क्षेत्र के सामने चुनौतियाँ हैं, जो लगातार मौसमी परिवर्तन के कारण हो रही हैं जिसके परिणामस्वरूप विषाल भूमि शुष्क हो रही है। और तकनीकि संसाधनों की कमी से मिट्टी की उर्वरक क्षमता और उसके पानी का स्तर बढ़ती मांग के साथ घटता जा रहा है। कृषि विषेषज्ञों की राय में कृषि संबंधित जानकारी की उपलब्धता और साथ ही तकनीक के सही इस्तेमाल से किसान और भारतीय कृषि उद्योग को बल मिल सकता है।
भारतीय कृषि में सेंसर उपकरणों की भूमिका एक नई क्रांति बन उभर रही है। भारतीय कृषि जगत तकनीकि ज्ञान पर आधारित इन सेंसर उपकरणों के प्रयोग से एक नए कृषि क्रांति के युग में प्रवेश कर सकता है। सामान्य किसान को स्मार्ट किसान बनाना और उसको अपनी भूमि का असल लाभ दिलाना इन सेंसर उपकरणों के माध्यम से संभव है।
यह अनुमानित है कि भारत में लगभग 90 हजार करोड़ की फसल संसाधनों मौसम और कीट द्वारा नष्ट हो जाती है। यह भारतीय कृषि से जुड़े विशेषज्ञों के लिये चिंता का विषय बना हुआ है। भारत की बढ़ती आबादी और जनसंख्या की बढ़ती खाद्य खपत अगले 10 वर्षों में 30 से 40 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है। इसलिए तकनीकि ज्ञान और जुड़े संसाधन यानी आई.ओ.टी. सेंसर उत्पादन सलाहकार के तकनीकि स्वरूप मे किसान और भूमि उत्पाद से जुड़े हानियों को कम करने में और नियंत्रण में रखने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
वैश्विक सेंसर बाजार में यह तकनीक स्मार्ट फार्मिंग पशु देखभाल, मत्स्य पालन देखभाल, में अत्यन्त उपयोगी और सकारात्मक परिणाम दे सकती है। विश्व स्तर में सेंसर आधारित बाजार अब लगभग 1.5 अरब डालर तक पहुंच चुका है।
2030 तक अनुमानित है कि यह 9.80 प्रतिशत वृद्धि के हिसाब से 3.90 अरब डालर हो सकता है। भारत सरकार भी इस दिशा में आगे बढ़ किसानों को इस क्षेत्र में मदद का साथी बन सकता है।
सेंसर उपकरण समय पर आंकडे इकठ्ठा करने की क्षमता रखते हैं। यह आंकडे़ किसान की खेती तकनीक में एक सही दिशा देने में सक्षम है और कृषि से जुड़ी कुछ मुख्य समस्याओं का समाधान आसानी से दे सकते हैं। यह समस्यायें ज्यादातर मिट्टी की गुणवत्ता, फसल के रोग, मौसम के अनुमान, और फसल पर पड़ रहे कीट के दुष्प्रभाव से जुड़ी हैं। इनके इस्तेमाल से किसान आसानी से और सही समय पर अपने फसल तथा भूमि की रख-रखाव कर सकता है।
निम्नलिखित प्रकारों के सेंसर मानिटर किसानों के लिये मददगार हो सकते हैं:
मौसम स्टेशन: मौसम आधारित सेंसर कृषि के संबंधित क्षेत्रों में जहां लगाये जाते हैं वह वास्तविक मौसम डेटा देने में सक्षम है। ऐसे मौसम स्टेशन समय पर मौसम, तापमान, और अन्य उपयुक्त जानकारी त्वरित समय पर देकर किसान की मदद कर सकते हैं। किसान वैज्ञानिक भी विश्लेषण पर आधारित निर्णय लेने के लिये डेटा का उपयोग कर सकते हैं। इससे फसल बोने, कीट प्रबंधन और सिंचाई में सुधार हो सकता है। मौसम पूर्वानुमान द्वारा और किसानों द्वारा इस पर आधारित कार्य फसल को हानि से बचाने के लिए समय पर उत्तरदायी कदम उठाने में मदद करता है।
भारतीय कृषि क्षेत्र में सेंसर की उपयोगिता अगर भारतीय कृषि मानक पर खरे भारत में बने और यह ‘‘मेक इन इंडिया माडल के अंतर्गत यहीं प्राईवेट पब्लिक पार्टनरशिप के अंतर्गत विकसित हो इसका बेहतरीन लाभ किसान उठा सकते हैं। डेटा के बढते उपयोग के माध्यम से और ए.आई. एनालिटिक्स द्वारा जो किसान को आंकडे त्वरित गति तक पहुंचा सकते हैं इससे कृषि जगत को लाभ होगा। यह तकनीकि ज्ञान भारतीय कृषि के चेहरे को बदलने और भारतीय ग्रामीण क्षेत्र में किसानों के जीवन पर और नवयुवकों के लिये रोजगार के नये अवसर प्रदान करने की संभावना रखता है। भारतीय सरकार ने अपने विभिन्न पहलुओं और नीतियों के माध्यम से कृषि सेंसर्स सहित सुविधाओं के अध्ययन को सक्रिय रूप से बढावा दिया है। ध्यान देने योग्य है कि कृषि सेंसर्स के विकास के साथ और कई चुर्नातियाँ भी हैं। जैसे उचित तकनीक ज्ञान, ग्रामीण क्षेत्रों में उचित इंटरनेट कनेक्टिविटी और प्राईवेट पब्लिक पार्टनरशिप में, प्राथमिक निवेश और लागतें। आगामी दिनों में ये बाधायें हटती नजर आयेंगी और कृषि सेंसर्स का उपयोग भारतीय किसानों के लिये एक विकल्प बन जायेगा।