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जम्मू में जोर पकड़ रही धान की खेती, किसानों को बेहतर बासमती पैदावार की उम्मीद जम्मू में मानसूनी हवाओं और पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से हो रही भारी बारिश के बीच पिछले हफ्ते से धान की खेती जोर पकड़ रही है। किसानों को पिछले साल से बेहतर धान की पैदावार होने की उम्मीद है। जम्मू क्षेत्र के आरएस पुरा, मढ़, सांबा और कठुआ जिलों के ज्यादातर किसानों के लिए धान की खेती, खासकर विश्व प्रसिद्ध बासमती चावल कमाई का एकमात्र स्रोत है।
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक ए एस रीन ने कहा, ‘‘जम्मू क्षेत्र में धान और मक्का मुख्य फसलें हैं, जो बारिश के पानी पर निर्भर हैं। मॉनसून से पहले की बारिश अच्छी हुई थी। मॉनसून भी समय पर आ गया है जो अच्छा है. ज्यादातर वर्षा आधारित पहाड़ी इलाकों में होने वाली मक्के की बुआई कुछ समय पहले पूरी हो गई थी और पिछले सप्ताह से लगातार हो रही बारिश इस फसल के लिए वरदान है।’’ अब जम्मू के मैदानी इलाकों और पहाड़ी इलाकों के कुछ हिस्सों में धान की बुवाई चल रही है। बासमती की फसल को कटाई के चरण तक पहुंचने में 160-170 दिन लगते हैं और इस दौरान उसे बहुत अधिक पानी की जरूरत होती है।
रीन के अनुसार, जम्मू में धान का उत्पादन लगभग 4 लाख क्विंटल है, जबकि स्थानीय मांग को पूरा करने के लिए भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से दो लाख क्विंटल चावल खरीदा जाता है। मक्के का उत्पादन लगभग चार लाख क्विंटल है और विभाग किसानों को उनकी अतिरिक्त उपज बेचने की सुविधा देता है। उन्होंने कहा कि सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले बीज, उचित उर्वरक और वर्षा जल सहित विभिन्न कारकों के आधार पर धान और मक्का का उत्पादन 25 से 30 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। दरअसल, बारिश धान की खेती के लिए फायदेमंद है। फसल की सफलता अगले एक महीने के दौरान पानी की उपलब्धता पर निर्भर करती है और अगर अच्छा मानसून रहा, तो इस बार अच्छी पैदावार होने की उम्मीद है।