संतान की लंबी आयु के लिए महिलाएं जितिया व्रत रखती हैं जो बिहार, यूपी और झारखंड में खास पर्व माना जाता है। आइए जाने जितिया व्रत की संपूर्ण जानकारी। जितिया व्रत जो संतान की लंबी आयु सुख समृद्धि शांति के लिए रखा जाता है। माताएं इस व्रत को निर्जला रखती हैं। छठ व्रत की तरह ही इसमें भी नहाए-खाए और खुर फिर पारण किया जाता है यानी तीन दिनों तक इस व्रत को किया जाता है। जितिया व्रत अष्टमी तिथि में और व्रत का पारण नवमी तिथि में किया जाता है।
पंचांग के मुताबिक आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 24 सितंबर को दोपहर 12:39 पर होगी तो वहीं तिथि की समाप्ति 25 सितंबर को दोपहर 12:12 मिनट पर होगी। उदया तिथि के अनुसार जितिया का व्रत 25 सितंबर को ही रखा जाएगा। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:35 से सुबह 5:23 तक है। अमृत काल 12:11 से 1:50 तक है। विजय मुहूर्त दोपहर 2:12 से दोपहर 3:00 तक है। शाम को 6:12 से शाम 7:25 तक भी मुहूर्त रहेगा।
जितिया व्रत का हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं। यह व्रत माताओं का संतान के प्रति समर्पण का प्रतीक है। इस व्रत को करने से संतान के जीवन में सुख-समृद्धि और दीर्घायु की प्राप्त होती है और घर-परिवार में भी सुख-शांति बनी रहती है।
जितिया व्रत अष्टमी तिथि को सुबह स्नान के बाद भगवान भास्कर को जल अर्पण किया जाता है प्रदोष काल में जीमूतवाहन देवता की पूजा की जाती है। देवता जी को रोली, अक्षत,धूप-दीप,लाल और पीली रुई से सजाया जाता है। वहीं गाय के गोबर से चील और सियारिन की मूर्तियां बनाकर लाल सिंदूर लगाया जाता है। दूर्वा की माला, लौंग,इलायची, पान-सुपारी, श्रृंगार का सामान, गांठ का धागा, सरसों का तेल आदि पूजन की सामग्रियों को रखा जाता है फिर व्रत की कथा पढ़ा जाता है।