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राज्य सरकार ने खरीफ प्याज की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना की शुरुआत की है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को खरीफ प्याज की खेती के लिए प्रोत्साहित करना और इसके उत्पादन को बढ़ाना है। हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं, योजना के मुख्य बिंदु क्या हैं, और आवेदन की प्रक्रिया कैसी है।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को खरीफ प्याज की खेती के लिए प्रेरित करना और इसके उत्पादन को बढ़ावा देना है। सरकार का मानना है कि इस योजना से न केवल प्याज की कमी को पूरा किया जा सकेगा बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि होगी।
खरीफ प्याज योजना के तहत जिलों की सूची: खरीफ प्याज का क्षेत्र विस्तार योजना बिहार के 10 जिलों में लागू की जाएगी। ये जिले हैं।
इस योजना का लाभ और सीमा: योजना के तहत किसानों को न्यूनतम 0.25 एकड़ (0.1 हेक्टेयर) और अधिकतम 2.5 एकड़ (1 हेक्टेयर) की खेती के लिए लाभ मिलेगा। यह सुनिश्चित करता है कि छोटे और बड़े, दोनों तरह के किसान इस योजना का लाभ उठा सकें।
बीज की दर और कीमत: खरीफ प्याज की खेती हेतु प्रति हेक्टेयर 10 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होगी। प्रति किलोग्राम बीज की अनुमानित कीमत 2000 रुपये है। बीज का मूल्य वास्तविक बाजार दर के अनुसार तय किया जाएगा, जो भी कम हो।
इकाई लागत और अनुदान: प्रति हेक्टेयर अनुमानित इकाई लागत बीज मूल्य सहित 1,20,000 रुपये होगी। इस पर 50 प्रतिशत यानी 60,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से सहायतानुदान अनुसूची-2 के अनुसार दिया जाएगा।
सहायतानुदान भुगतान की प्रक्रिया: योजना के अंतर्गत प्रति हेक्टेयर 60,000 रुपये का सहायतानुदान दिया जाएगा। यह राशि दो किस्तों में भुगतान की जाएगी:
बीज की उपलब्धता; बीज की उपलब्धता बिहार राज्य बीज निगम, बिहार, पटना द्वारा सुनिश्चित की जाएगी। किसान अपने संबंधित जिलों में बीज प्राप्त कर सकेंगे।
आवश्यक दस्तावेज: योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।
गैर-रैयत कृषकों के लिए लाभ: गैर-रैयत कृषक एकरारनामा के आधार पर भी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। यह उन किसानों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है जिनके पास अपनी भूमि नहीं है।
लाभुकों का चयन: लाभुकों का चयन निम्नलिखित श्रेणियों के आधार पर किया जाएगा।
आवेदन करने की सरल प्रक्रिया:
सहायतानुदान का भुगतान नियमानुसार DBT के तहत् CFMS द्वारा भुगतान किया जायेगा। इससे प्रक्रिया पारदर्शी और सुचारू होगी और किसानों को उनके अधिकारों का पूरा लाभ मिलेगा।