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Kisan kalyan mission: किसान कल्याण मिशन: कृषि को लाभकारी व्यवसाय बनाने की दिशा में बड़ा कदम

किसान कल्याण मिशन
किसान कल्याण मिशन

किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री एदल सिंह कंषाना ने कहा कि किसान कल्याण मिशन के तहत किसानों की आय बढ़ाने का लक्ष्य तय किया गया है। यह मिशन कृषि को लाभकारी व्यवसाय बनाने का महत्वपूर्ण माध्यम बनेगा। मध्यप्रदेश प्राकृतिक कृषि विकास बोर्ड का गठन प्राकृतिक कृषि के प्रसार और किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए किया गया है। प्राकृतिक खेती करने वाले और इच्छुक किसानों के लिए पंजीयन पोर्टल शुरू किया गया है, जिस पर अब तक 72,967 किसान पंजीयन करा चुके हैं।

पीएम किसान समृद्धि केंद्र और मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना:

प्रदेश की प्रत्येक पंचायत में पीएम किसान समृद्धि केंद्र की स्थापना की जाएगी। मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के तहत 81 लाख से अधिक किसानों को पिछले वर्ष 4,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि अंतरित की गई। 
रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना: इस योजना के तहत किसानों को 1,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से अधिकतम 3,900 रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता दी जा रही है।

शून्य प्रतिशत ब्याज पर सुविधा और सोयाबीन उपार्जन निर्णय:

अल्पकालीन फसल ऋण के लिए 600 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है। वहीं, समर्थन मूल्य पर खरीदे गए गेहूं पर किसानों को प्रति क्विंटल 125 रुपये का बोनस दिया गया। मध्यप्रदेश सरकार ने पहली बार सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 4,892 रुपये प्रति क्विंटल तय कर किसानों से 2 लाख मीट्रिक टन से अधिक सोयाबीन खरीदी और 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया।

बीज और उर्वरक की बेहतर व्यवस्था:

खरीफ 2024 में 1.23 लाख क्विंटल से अधिक प्रमाणित बीज वितरित किया गया। किसानों को उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बिक्री केंद्रों की संख्या बढ़ाई।

सौर ऊर्जा से किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की पहल: मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना को अब प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना के रूप में लागू किया गया है। इसके तहत अस्थाई विद्युत कनेक्शन लेने वाले 1.25 लाख किसानों को सौर ऊर्जा पंप दिए जाएंगे। अगले चार वर्षों में किसानों को सौर ऊर्जा पंप देकर विद्युत आपूर्ति में आत्मनिर्भर बनाया जाएगा।

फसल विविधीकरण और उद्यानिकी क्षेत्र को बढ़ावा: किसानों को अधिक लाभ देने वाली फसलों की ओर आकर्षित करने के लिए फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित किया जाएगा। अगले 5 वर्षों में सिंचित क्षेत्र का दायरा 50 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 1 करोड़ हेक्टेयर करने का लक्ष्य है। मध्यप्रदेश में 26 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में उद्यानिकी फसलें उगाई जाती हैं। संतरा, टमाटर, धनिया, लहसुन और मसाला उत्पादन में प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। इसके अलावा, 50 हाईटेक नर्सरी बनाई जा रही हैं और उनके बेहतर प्रबंधन के लिए ई-नर्सरी पोर्टल तैयार किया गया है।

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