हरियाणा के पानीपत जिले के किसान प्रीतम सिंह ने कीटनाशकों के खतरनाक प्रभावों को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की थी। कीटनाशक फसलों को कीट और रोगों से बचाने के लिए आवश्यक हैं, लेकिन इनके संपर्क में आने से किसानों की सेहत पर गंभीर खतरे मंडराते हैं। इन्हीं समस्याओं को दूर करने के लिए, प्रीतम सिंह की पहल पर, "किसान कवच" नामक सुरक्षात्मक बॉडीसूट पेश किया गया है, जो किसानों को कीटनाशकों के दुष्प्रभाव से बचाने में सहायक है।
17 दिसंबर को केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत का पहला एंटी-पेस्टीसाइड बॉडीसूट "किसान कवच" का अनावरण किया है। बेंगलुरु स्थित BRIC-inStem और सेपियो हेल्थ प्रा. लि. द्वारा विकसित यह सुरक्षात्मक सूट किसानों को कीटनाशकों के संपर्क से होने वाले हानिकारक प्रभावों से बचाने के लिए बनाया गया है। इस कार्यक्रम में किसान कवच के पहले बैच का वितरण भी किया गया।
किसान कवच बॉडीसूट में एडवांस्ड फैब्रिक टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है, जो कीटनाशकों को संपर्क में आते ही निष्क्रिय कर देता है। यह सूट पूरी तरह से धोने योग्य और दो वर्षों तक उपयोगी है, जिसमें 150 बार धुलाई की जा सकती है। सूट की कीमत ₹4,000 है और सरकार इसे अधिक किफायती बनाने के प्रयास कर रही है। इसकी संरचना में न्यूक्लियोफाइल को कपास के रेशों से जोड़कर कीटनाशकों को निष्क्रिय करने के लिए न्यूक्लियोफिलिक-हाइड्रोलिसिस तकनीक का उपयोग किया गया है, जिसे "नेचर कम्युनिकेशंस" नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
फसलों के कीटों और रोगों से होने वाले 15-25% नुकसान को रोकने के लिए कीटनाशकों का उपयोग अनिवार्य हो जाता है। गलत तरीके से उपयोग किए जाने पर कीटनाशकों से पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ते हैं। 2015 से 2018 के बीच कीटनाशकों के दुरुपयोग के कारण 442 लोगों की मौतें हुईं।
जैविक और टिकाऊ खेती की ओर कदम:
सरकार कीटनाशकों के उपयोग को कम करने और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है।
निष्कर्ष: "किसान कवच" भारतीय कृषि में एक नई शुरुआत का प्रतीक है। यह पहल किसानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ टिकाऊ खेती की ओर एक कदम है। इससे न केवल किसानों की सेहत सुरक्षित होगी, बल्कि खेती की लागत भी कम होगी, जिससे भारतीय कृषि को नया आयाम मिलेगा।
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