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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में मिलेट की 4 नई उन्नत किस्में लॉन्च की हैं। ये नई किस्में देश के विभिन्न कृषि अनुसंधान संस्थानों द्वारा विकसित मिलेट की इन किस्मों के माध्यम से बेहतर उत्पादन और पोषण गुणवत्ता को बढ़ावा दिया जा रहा है। इन उन्नत किस्मों के माध्यम से किसान अपनी उपज और आय दोनों को बढ़ा सकते हैं, साथ ही बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता से फसल की गुणवत्ता भी बेहतर बनी रहती है। आइए जानते हैं मिलेट की इन किस्मों की खासियत उपज और मिलने वाले लाभ के बारे में।
मिलेट (एमएच 2417 - पुसा 1801) मिलेट की एक संकर किस्म है, जिसे आईसीएआर – भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म दिल्ली NCR के लिए उपयुक्त है। यह संकर किस्म खरीफ मौसम के लिए सिंचित और वर्षा-आधारित दोनों परिस्थितियों में उपयुक्त है। इसका अनाज उत्पादन 33.34 क्विंटल/हेक्टेयर और सूखे चारे का उत्पादन 175 क्विंटल/हेक्टेयर तक होता है। इसमें अधिक लौह और जिंक की मात्रा पाई जाती है। यह बाजरे की पाँच प्रमुख बीमारियों (डाउन मिल्ड्यू, फोलियर ब्लास्ट, रस्ट, स्मट और एरगॉट) के प्रति प्रतिरोधी है।
मिलेट की यह किस्म ओपन-पोलिनेटेड आईसीएआर विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा, उत्तराखंड द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म वर्षा-आधारित परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है। इसका औसत बीज उत्पादन 2261 किलो/हेक्टेयर है और यह 111 दिनों में परिपक्व होती है। इसमें कैल्शियम की मात्रा (368 मिलीग्राम/100 ग्राम) चेक किस्मों VL मांडुआ 324 (294 मिलीग्राम/100 ग्राम) और VL 376 (318.9 मिलीग्राम/100 ग्राम) से अधिक है।
मिलेट की यह किस्म ओपन-पोलिनेटेड आईसीएआर- एआईसीआरपी ऑन ज्वार और छोटे मिलेट्स, कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, धारवाड़, कर्नाटक द्वारा विकसित किया गया है। मिलेट की यह किस्म कर्नाटक और तमिलनाडु क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। यह किस्म वर्षा-आधारित खरीफ मौसम के लिए उपयुक्त है। इसका उत्पादन 24-26 क्विंटल/हेक्टेयर है और यह 70-74 दिनों में तैयार होती है। यह ब्राउन स्पॉट, लीफ ब्लास्ट और लीफ ब्लाइट के प्रति प्रतिरोधी है।
सांवा मिलेट (VL मदिरा- 254): मिलेट की यह किस्म भी ओपन-पोलिनेटेड आईसीएआर- विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा, उत्तराखंड द्वारा विकसित किया गया है। मिलेट की यह किस्म उत्तराखंड क्षेत्र के लिए उपयुक्त है। यह किस्म वर्षा-आधारित परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है, इसका औसत उत्पादन 1719 किलो/हेक्टेयर है और यह 101 दिनों में परिपक्व होती है।