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देश विदेश में बकरियों का पालन काफी प्रचलित है. किसान इन बकरियों को दूध और मांस के लिए पालते हैं. इससे किसानों को काफी लाभ भी होता है. यही कारण है कि इसे मुनाफे का सौदा भी कहा जाता है. दूध और मांस के अलावा भी एक तरीके से इन बकरियों के पालन से मोटा पैसा कमाया जा सकता है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं बकरियों की लीद यानी मेंगनी की. मेंगनी का इस्तेमाल खेतों में खाद के तौर पर किया जाता है. इतना ही नहीं किसान इससे कम्पोस्ट और वर्मी कम्पोस्ट भी बनाए जा सकते हैं. ऐसे में दूध मांस के अलावा इसे बेचकर भी आसानी से कमाई की जा सकती है.
जानकारों का कहना है कि बकरी की मेंगनी को सीधे बाजार में बेचा जा सकता है. इसे अपने खेतों में भी इस्तेमाल कर सकते हैं. ये उन पशुपालकों के लिए काफी काम की चीज है, जो अपने खेतों में पशुओं के लिए चारा उगाते हैं. अगर वे अपने खेतों में बकरी की मेंगनी का इस्तेमाल करें, तो इससे उन्हें काफी फायदा होगा. क्योंकि, मेंगनी में नाइट्रोजन, पोटेशियम और फॉस्फोरस जैसे कई महत्त्वपूर्ण तत्व पाए जाते हैं, जो जमीन की उर्वरता को बढ़ाते हैं. इसके अलावा बकरी की मेंगनी ऑर्गनिक खेती का भी एक अच्छा स्त्रोत है.
विशेषज्ञों के मुताबिक फसल चाहे चारे की हो या फिर कुछ और, उसे उर्वरक के रूप में नाइट्रोजन, पोटेशियम और फास्फोरस की जरूरत होती है. बकरी के गोबर से बनी खाद इसके लिए सबसे अच्छी होती है. क्योंकि, इसमें ये सभी तत्व पाए जाते हैं. मेंगनी की एक विषेश खासियत यह भी है कि यह मिट्टी में मौजूद भौतिक और रसायनिक गुणों में सकारात्मक बदलाव लाती है, जो मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को भी बढ़ाती है.