उत्तर भारत के कई इलाकों में कड़ाके की ठंड देखने को मिल रही है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में भयंकर कोहरे के साथ शीतलहर और पाला गिरने स्थिति है। ऐसे में सबसे ज़्यादा नुकसान की आशंका किसानों की फसलों को लेकर है। कृषि विशेषज्ञ इन दिनों किसानों के लिए उपयोगी सलाह जारी कर रहे हैं। इन्हें अपनाकर काफी हद तक फसल को ठंड की मार से बचाया जा सकता है। आइये जानते हैं ऐसी हप कुछ सलाह के बारे में...
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार गोभीवर्गीय फसल में हीरा पीठ इल्ली, मटर में फली छेदक और टमाटर में फल छेदक को रोकने के लिए फीरोमोन प्रपंश @ 3-4 प्रपंश प्रति एकड़ खेतों में लगाएं। इससे काफी हद तक लाभ मिलेगा। ठंड के इस मौसम में बंदगोभी, फूलगोभी, गांठगोभी आदि की रोपाई मेड़ों पर कर सकते हैं। पालक, धनिया, मेथी की बुवाई कर सकते हैं। पत्तों के बढ़वार के लिए 20 कि.ग्रा. यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं। आलू और टमाटर को झुलसा रोग से बचाने के लिए उनकी लगातार निगरानी करनी चाहिए। झुलसा रोग के लक्षण दिखने पर कार्बंडिजम 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या डाईथेन-एम-45 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
इस मौसम में प्याज की समय से बोई गई फसल में थ्रिप्स के हमले को लेकर भी सजग रहना होगा। प्याज में परपल ब्लोस रोग की निगरानी भा करनी चाहिए। रोग के लक्षण पाए जाने पर डाएथेन-एम-45 @ 3 ग्रा./ली. पानी किसी चिपकने वाले पदार्थ जैसे टीपोल आदि (1 ग्रा. प्रति एक लीटर घोल) में मिलाकर छिड़काव करें. अगर मटर की ज्यादा पैदावार चाहते हैं तो फसल पर 2 प्रतिशत यूरिया के घोल का छिड़काव करें। गेहूं की फसल में यदि दीमक का प्रकोप दिखाई दे, तो बचाव के लिए किसान क्लोरपायरीफांस 20 ई.सी. @ 2.0 ली. प्रति एकड़ 20 कि.ग्रा. बालू में मिलाकर खेत में शाम को छिड़क दें और सिंचाई करें। इससे फसल को हुए नुकसान की भरपाई हो सकेगी।