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राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन क्या है
ऑयल पाम भारत में एक नई फसल है और प्रति हेक्टेयर सबसे अधिक वनस्पति तेल उपज देने की क्षमता रखता है। यह दो अलग-अलग तेलों का उत्पादन करता है। पाम ऑयल फल के मांसल मेसोकार्प से प्राप्त होता है, जिसमें लगभग 45-55% तेल होता है। गुणवत्ता वाले रोपण सामग्री, सिंचाई और उचित प्रबंधन के साथ, 8-9 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद प्रति हेक्टेयर 20-25 मीट्रिक टन ताजे फल गुच्छों (FFBs) की क्षमता है। पाम ऑयल की उपज पारंपरिक तिलहनों से प्राप्त होने वाले खाद्य तेल की उपज से 5 गुना अधिक है।
खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन-ऑयल पाम के अंतर्गत, राज्य सरकारों ने ऑयल पाम प्रसंस्करण कंपनियों के साथ मिलकर 'मेगा ऑयल पाम वृक्षारोपण अभियान' का शुभारंभ किया। इस मिशन के तहत राज्य सरकारों ने ऑयल पाम प्रसंस्करण कंपनियों के साथ मिलकर से एक मेगा आयल पाम पौधरोपण अभियान शुरू किया है ताकि देश में ऑयल पाम के उत्पादन को और बढ़ाया जा सके। इससे राज्यों में रिकॉर्ड स्तर पर ऑयल पाम का रकबा बढ़ाने के लिए किसानों के साथ मिलकर सक्रिय रूप से भागीदारी कर रहीं हैं। इस मेगा पौधरोपण अभियान के दौरान आठ जिलों में 75 हेक्टेयर से अधिक रकबे में ऑयल पाम की खेती करने का लक्ष्य था।
आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल प्रमुख तेल पाम उत्पादक राज्य हैं और कुल उत्पादन का 98% हिस्सा यहीं से आता है। कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा, गुजरात और मिजोरम में भी तेल पाम की खेती के लिए काफी क्षेत्र है। हाल ही में अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर और नागालैंड ने भी बड़े पैमाने पर तेल पाम रोपण कार्यक्रम शुरू किया है।
राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन का लक्ष्य: हर साल करीब 9 मीट्रिक टन पाम ऑयल का आयात किया जाता है, जिसकी कीमत 40,000 करोड़ रुपये है, जो खाद्य तेल के कुल आयात का करीब 56% है। वर्तमान में करीब 28 लाख हेक्टेयर के कुल संभावित क्षेत्र में से सिर्फ 3.70 लाख हेक्टेयर में ही ऑयल पाम की खेती हो रही है। वर्ष 2019-20 के दौरान पाम ऑयल उत्पादन का क्षेत्रफल 3.5 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर वर्ष 2025-26 तक 10 लाख हेक्टेयर करना, जिसमें से सामान्य राज्य के लिए 3.22 लाख हेक्टेयर और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 3.28 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है, तथा एफएफबी उत्पादन का लक्ष्य 66.00 लाख टन रखा गया है। कच्चे पाम तेल का उत्पादन 2019-20 के दौरान 0.27 लाख टन से बढ़ाकर 2025-26 तक 11.20 लाख टन करना।