By khetivyapar
पोस्टेड: 24 Dec, 2024 12:00 AM IST Updated Tue, 24 Dec 2024 10:18 AM IST
महाकुंभ का वर्ष 2025 में प्रयागराज में शुरूआत होने जा रहा है। महाकुंभ में देश से ही नहीं बल्कि दुनियाभर से श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। महाकुंभ का आयोजन 12 साल में एक बार किया जाता है। महाकुंभ में स्नान का विशेष महत्व है। महाकुंभ में स्नान करने से मनुष्य को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
महाकुंभ मेला: आस्था, साधना और शाही स्नान का अद्भुत संगम Maha Kumbh Mela: A wonderful confluence of faith, spiritual practice and royal bath:
महाकुंभ मेला आस्था, साधना और धार्मिक अनुष्ठानों का भव्य संगम है, जिसमें स्नान का विशेष महत्व है। त्रिवेणी संगम पर लाखों श्रद्धालु पवित्र जल में डुबकी लगाकर अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं और मोक्ष प्राप्ति की कामना करते हैं। यह मान्यता है कि इन पवित्र जलधाराओं में स्नान से न केवल स्वयं के बल्कि पूर्वजों के लिए भी पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति मिलती है। स्नान के साथ-साथ श्रद्धालु गंगा किनारे पूजन-अर्चन करते हैं और साधु-संतों के प्रवचनों में भाग लेते हैं। इन तिथियों पर साधु-संतों, अखाड़ों और उनके अनुयायियों के भव्य जुलूस के साथ शाही स्नान किया जाता है। शाही स्नान को महाकुंभ मेले का सबसे प्रमुख आकर्षण माना जाता है, जो इस पर्व की आध्यात्मिक परंपरा का चरम है।
प्रयागराज महाकुंभ मेला 2025 की महत्वपूर्ण स्नान तिथियां Important bathing dates of Prayagraj Mahakumbh Mela 2025:
- 13 जनवरी पौष पूर्णिमा: पौष मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा, महाकुंभ मेले का अनौपचारिक आरंभ मानी जाती है। यह दिन कल्पवास की शुरुआत का प्रतीक है, जो महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं द्वारा की जाने वाली गहन आध्यात्मिक साधना और भक्ति का समय है।
- 14 जनवरी मकर संक्रांति (प्रथम शाही स्नान): मकर संक्रांति के दिन सूर्य का अगली राशि में प्रवेश होता है। यह दिन महाकुंभ मेले में दान-पुण्य की शुरुआत का प्रतीक है। श्रद्धालु अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार दान करते हैं।
- 29 जनवरी मौनी अमावस्या (द्वितीय शाही स्नान): मौनी अमावस्या का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। यह वह दिन है जब ऋषभदेव ने अपने मौन व्रत को तोड़कर पवित्र संगम में स्नान किया था। इस दिन महाकुंभ मेले में सबसे बड़ी संख्या में श्रद्धालु संगम पर स्नान के लिए एकत्रित होते हैं।
- 03 फरवरी वसंत पंचमी (तृतीय शाही स्नान): वसंत पंचमी ऋतुओं के परिवर्तन और ज्ञान की देवी सरस्वती के आगमन का प्रतीक है। इस दिन कल्पवासी पीले वस्त्र पहनकर विशेष पूजन करते हैं।
- 12 फरवरी माघी पूर्णिमा: माघी पूर्णिमा गुरु बृहस्पति की पूजा और देवगंधर्व के संगम पर आगमन से जुड़ी है। इस दिन संगम पर स्नान करने से स्वर्ग की प्राप्ति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
- 26 फरवरी: महाशिवरात्रि: महाशिवरात्रि का दिन कल्पवासियों के अंतिम स्नान का प्रतीक है। यह दिन भगवान शिव की आराधना और उनके प्रति समर्पण के लिए समर्पित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन की प्रतीक्षा देवता भी करते हैं।
महाकुंभ की आध्यात्मिकता: प्रयागराज महाकुंभ मेले का हर स्नान और अनुष्ठान गहरी आध्यात्मिकता से ओतप्रोत है। यह न केवल धार्मिक आस्था का पर्व है, बल्कि जीवन के हर पहलू में संतुलन और मोक्ष की ओर बढ़ने का प्रतीक है।
ये भी पढें...
Mahakumbh 2025: संगम नगरी के लेटे हुए हनुमान जी के दर्शन से दूर होंगे सारे कष्ट
महाकुंभ में आने वाले विदेशी श्रद्धालुओं की आस्था का वैश्विक संगम
सनातन धर्म की अमूल्य धरोहर हैं निरंजनी अखाड़ा, इस महाकुंभ जरुर पहुंचे निरंजनी अखाड़ा
महाकुंभ में विशेष स्नान का हिस्सा जरुर बने
महाकुंभ के मौके पर संगम नगरी में देवी शक्ति पीठ के दर्शन जरुर करें