By khetivyapar
पोस्टेड: 06 Sep, 2024 12:00 AM IST Updated Fri, 06 Sep 2024 09:39 AM IST
गणेश जी का उत्सव बड़ी धूमधाम से भाद्रपद की शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है। भगवान गणेश को इस ब्रह्मांड में व्यवस्था लाने वाला माना जाता है और उन्हें नए प्रयास, बौद्धिक यात्रा, या व्यापारिक उद्यम की शुरुआत से पहले पूजा जाता है। आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी की महत्वपूर्ण बातें
- भगवान गणेश जी के 12 नाम हैं सुमुख, विनायक, विकट, लम्बोदर, गजकर्णक, कपिल, एकदंत, विघ्ननाशक, धूम्रकेतु, भालचन्द्र गणाध्यक्ष और गजानन नाम से प्रख्यात हैं। इनकी दो पत्नियां हैं रिद्धि और सिद्धि।
- शास्त्रों के अनुसार गणपति ने 64 अवतार लिए, किन्तु उनके 12 अवतार प्रख्यात माने जाते हैं जिसकी पूजा की जाती है।
- गजानन आदिदेव हैं जिन्होंने सभी युग में अलग-अलग अवतार लिये। सतयुग में सिंह, द्वापर में मूशक, त्रेता में मयूर और कलिकाल में घोड़ पर सवार बताए गये हैं।
- गणेश पूजा से बुध और केतु गृह का असर नहीं होता है।
- गणपति भगवान के प्रमुख अस्त्र वीणा, सितार और ढोल है।
- हिंदू धर्म में सबसे मुहत्वपूर्ण गणेश भगवान को हाथी का सिर होने के लिए जाना जाता है और वे शिव और उनकी पत्नी पार्वती के पुत्र हैं।
- हर साल, गणेश जी का जन्म 10 दिनों के महोत्सव के साथ मनाया जाता है, जिसमें चार मुख्य अनुष्ठान किए जाते हैं: प्राण प्रतिष्ठा, शोडशोपचार, उत्तर पूजा, और गणपति विसर्जन।
- गणेश की कृपा को नियमित रूप से “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करके आमंत्रित किया जाता है, जिसका अर्थ है: “मैं गणेश, विघ्नहर्ता, को नमन करता हूँ।
- त्योहार की शुरुआत गणेश की मूर्तियों, जो आमतौर पर मिट्टी की बनी होती हैं और फूलों और दीपों से सजाई जाती हैं।
- त्योहार के अंतिम दिन, उत्तर पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसमें गणेश को विदाई दी जाती है। इसके बाद, गणेश को एक सार्वजनिक जुलूस में किर्तन (भक्ति संगीत) के साथ एक नजदीकी जलाशय में ले जाकर विसर्जित किया जाता है।
- कुछ इतिहासकार मानते हैं कि गणेश चतुर्थी का पर्व 1600 के दशक में प्रमुख सार्वजनिक आयोजन बना, जब भारतीय राजा शिवाजी भोसले प्रथम ने पहली बार इस उत्सव को प्रायोजित किया।