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मध्यप्रदेश के मालवा और बुंदेलखंड क्षेत्रों के लिए सिंचाई और पेयजल उपलब्धता

सिंचाई परियोजनाएं
सिंचाई परियोजनाएं

मध्यप्रदेश सरकार ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की पहल पर पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो परियोजना के लिए समझौता पत्र हुआ है। उनके नेतृत्व में 25 दिसम्बर को केन-बेतवा लिंक परियोजना का शुभारंभ किया जा रहा है। दोनों परियोजनाएं मध्यप्रदेश के लिए अत्यधिक लाभकारी होंगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने यह बयान समत्व भवन में सागर, उज्जैन, ग्वालियर और चंबल संभागों में चल रहे जनकल्याण शिविरों की प्रगति की समीक्षा के दौरान दिया।

मालवा और बुंदेलखंड के लोंगों को जलसंसाधन बढ़ाने के प्रयास:

उन्होंने कहा कि कि यह केवल प्रधानमंत्री श्री मोदी के प्रयासों के कारण ही संभव हुआ है कि इन नदी जोड़ो परियोजनाओं का क्रियान्वयन हो पाया। इन परियोजनाओं से मालवा और बुंदेलखंड क्षेत्रों में सिंचाई सुविधाएं बढ़ेंगी और पर्याप्त पेयजल उपलब्धता सुनिश्चित होगी। मुख्यमंत्री ने यह निर्देश दिया कि जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए स्कूलों में चित्रकला और वाद-विवाद प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएं। साथ ही इन परियोजनाओं से लाभान्वित क्षेत्रों के विधायकों को स्थानीय नागरिकों को इन योजनाओं के लाभों के बारे में जागरूक करने और जल के मितव्ययी उपयोग के लिए प्रेरित करने की सलाह दी।

जनकल्याण अभियान के तहत कार्यों में तेजी Acceleration of works under public welfare campaign:

मुख्यमंत्री ने जनकल्याण अभियान की भी समीक्षा की, जो राज्य के प्रत्येक घर तक कल्याणकारी योजनाओं के लाभ को पहुंचाने के लिए चलाया जा रहा है। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिनिधियों और अधिकारियों से कहा कि किसी भी स्तर पर जनहितकारी कार्य लंबित न रहें। अभियान से जुड़े दलों को घर-घर सर्वे करके आवेदन प्राप्त करने और जनप्रतिनिधियों को सक्रिय रूप से शामिल करने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री आवास योजना के सर्वेक्षण को प्राथमिकता देने की बात कही।

सागर, उज्जैन, ग्वालियर और चंबल संभागों में जनकल्याण शिविरों की प्रगति: उन्होंने बताया कि सागर, उज्जैन, ग्वालियर और चंबल संभागों में जनकल्याण अभियान के तहत 12,000 से अधिक शिविर लगाए जा रहे हैं। शाजापुर, गुना, मंदसौर, उज्जैन और पन्ना जिलों में अब तक 75% से अधिक शिविर लगाए जा चुके हैं। अभियान के तहत इन शिविरों में अब तक 72,600 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 41,381 को स्वीकृति दी गई। आयुष्मान भारत योजना के तहत 75.2% आवेदन स्वीकृत हुए, निर्माण श्रमिकों के पंजीकरण के लिए 51% और खसरा/खतौनी प्रतिलिपियों के लिए 64% आवेदन स्वीकृत किए गए।

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