एमपी सरकार ने कहा कि मध्यप्रदेश की समृद्ध कृषि परंपरा और सतत विकास की नीति अब वैश्विक निवेशकों का ध्यान आकर्षित कर रही है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (GIS) भोपाल में निवेशकों ने कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और दुग्ध उत्पादन क्षेत्रों में 4,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्रस्तुत किए हैं। साथ ही प्रदेश की हरित और श्वेत क्रांति का मील का पत्थर बताया गया।
मध्यप्रदेश देश का सबसे बड़ा जैविक खेती वाला राज्य बन चुका है। देश की कुल जैविक खेती में 40% योगदान देने वाले राज्य ने अब इस क्षेत्र का और विस्तार कर 17 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 20 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य रखा है। किसानों को निःशुल्क सोलर पंप उपलब्ध कराए जा रहे हैं ताकि वे पर्यावरण के अनुकूल तरीकों से खेती कर सकें। उद्यानिकी क्षेत्र में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। बागवानी फसलों का रकबा 27 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 32 लाख हेक्टेयर हो गया है, जिससे फल-सब्जी उत्पादकों को सीधा लाभ मिलेगा।
प्रदेश दूध उत्पादन में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो चुका है। वर्तमान में देश के कुल दुग्ध उत्पादन में मध्यप्रदेश का योगदान 9% है, जिसे 20% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि "सांची ब्रांड" ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी मजबूत पहचान बना ली है। प्रदेश में वर्तमान में प्रतिदिन 591 लाख किलोग्राम दूध का उत्पादन हो रहा है, जिससे मध्यप्रदेश देश का तीसरा सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक राज्य बन गया है।
जीआईएस-भोपाल में "सीड-टु-शेल्फ" थीम पर केंद्रित एक विशेष सत्र आयोजित किया गया, जिसमें निवेशकों ने प्रदेश की अपार संभावनाओं को पहचाना। राज्य में 8 फूड पार्क, 2 मेगा फूड पार्क, 5 एग्रो-प्रोसेसिंग क्लस्टर और एक लॉजिस्टिक्स पार्क स्थापित किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण योजना के तहत 930 करोड़ रुपये की सहायता राशि स्वीकृत की गई है। 70 से अधिक बड़ी औद्योगिक इकाइयां और 3,800 से अधिक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम इकाइयाँ पहले से सक्रिय हैं, जो कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन को बढ़ावा दे रही हैं।
सिंचाई परियोजनाओं से कृषि क्षेत्र का होगा विस्तार:
प्रदेश में सिंचित भूमि का क्षेत्रफल तेजी से बढ़ा है। वर्ष 2003 में केवल 3 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित थी, जो अब बढ़कर 50 लाख हेक्टेयर हो गई है। सरकार ने 2028-29 तक इसे 1 करोड़ हेक्टेयर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। नर्मदा, चंबल, ताप्ती, बेतवा, सोन, क्षिप्रा, कालीसिंध और तवा जैसी सदानीरा नदियों पर बनी सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से यह लक्ष्य प्राप्त किया जाएगा।
जीआईएस-भोपाल से 8,000 से अधिक रोजगार के नए अवसर:
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में आए 4,000 करोड़ रुपये के निवेश से प्रदेश में 8,000 से अधिक रोजगार के अवसर सृजित होंगे। खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के विस्तार से किसानों को सीधे उनके उत्पाद का बेहतर मूल्य मिलेगा, जिससे प्रदेश की आर्थिक मजबूती को और बढ़ावा मिलेगा। जीआईएस-भोपाल में मिले निवेश प्रस्तावों ने हरित और श्वेत क्रांति को नई गति दी है। यह निवेश मध्यप्रदेश को "फूड बास्केट" बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो प्रदेश की कृषि, जैविक खेती, खाद्य प्रसंस्करण और दुग्ध उत्पादन क्षेत्रों में नए विकास की नींव रखेगा।