मध्यप्रदेश में सिंचाई सुविधा का विस्तार करते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने ने नर्मदा-क्षिप्रा माइक्रो-उद्वहन सिंचाई परियोजना का लोकार्पण किया। इस परियोजना के तहत 100 गांवों की 30,218 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में नदी जोड़ो अभियान के माध्यम से हर खेत तक पानी पहुंचाने का भागीरथी कार्य किया जा रहा है।
एमपी के मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश नदियों का मायका है और यहां 250 से अधिक नदियां बहती हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने वर्षों से लंबित राज्यों के नदी विवादों को सुलझाकर 'नदी जोड़ो परियोजनाओं' को मूर्त रूप दिया है। केन-बेतवा और पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजनाएं इसके उदाहरण हैं, जिससे प्रदेश के किसानों को सिंचाई की बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
प्रदेश सरकार किसानों की समृद्धि के लिए निरंतर प्रयासरत है। सरकार किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि एवं मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के तहत प्रतिवर्ष ₹12,000 की सहायता दे रही है। इसके अलावा, इस वर्ष से सरकार गेहूं का उपार्जन ₹2,600 प्रति क्विंटल की दर से कर रही है। साथ ही 10 गाय पालने वाले किसानों को अनुदान राशि, दुग्ध उत्पादकों को ₹5 प्रति लीटर सब्सिडी और प्रदेश को दुग्ध उत्पादन में नंबर वन बनाने का लक्ष्य बनाया है।
महिला सशक्तिकरण में बड़ा कदम: मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं चला रही है। नौकरियों में 35% आरक्षण के साथ रेडीमेड गारमेंट्स उद्योग में काम करने वाली महिलाओं को ₹5000 प्रति माह इंसेंटिव भी मिलेगा। महिलाओं को रेडीमेड गारमेंट्स प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की जायेगी।
रोजगार और विकास को नई गति: प्रदेश सरकार एक लाख सरकारी पदों पर भर्ती करने जा रही है। पुलिस एवं स्वास्थ्य विभाग में भी बड़ी संख्या में भर्तियां की जाएंगी। सरकार का संकल्प है कि हर हाथ को काम और हर युवा को उसकी योग्यता के अनुसार रोजगार मिले।
नर्मदा-क्षिप्रा माइक्रो-उद्वहन सिंचाई परियोजना: इस परियोजना के तहत ओंकारेश्वर जलाशय से 15 घन मीटर प्रति सेकंड की दर से जल उद्वहन कर 435 मीटर ऊंचाई तक पहुंचाया जाएगा। परियोजना के माध्यम से किसानों को पर ड्रॉप-मोर क्रॉप तकनीक के तहत स्प्रिंकलर और ड्रिप सिस्टम से सिंचाई की सुविधा मिलेगी, जिससे कम पानी में अधिक उत्पादन संभव होगा।