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मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार अपने अन्नदाता किसानों की सबसे अधिक चिंता करती है। राज्य सरकार हर खेत तक पानी पहुंचाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। जल संसाधन विभाग द्वारा संचालित वृहद, मध्यम और सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं के कारण प्रदेश में सिंचाई का रकबा लगातार बढ़ रहा है। सिंचाई सुविधाएं बेहतर होने से अब किसान दो के स्थान पर तीन फसलें उगा रहे हैं। इससे न केवल उत्पादन में वृद्धि हुई है, बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हुई है। वर्ष 2003 में प्रदेश का सिंचाई रकबा मात्र 3 लाख हेक्टेयर था, जो अब बढ़कर लगभग 50 लाख हेक्टेयर हो गया है।
प्रदेश में सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से वर्ष 2025-26 तक सिंचाई क्षेत्र का रकबा बढ़कर करीब 65 लाख हेक्टेयर तक पहुंचने की संभावना है। इसके साथ ही, सरकार ने वर्ष 2028-29 तक प्रदेश की सिंचाई क्षमता को लगभग 1 करोड़ हेक्टेयर तक बढ़ाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार ने सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण और रखरखाव के लिए पर्याप्त बजट आवंटित किया है। वर्ष 2024-25 के बजट में इन परियोजनाओं के लिए 13,596 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिससे किसानों की सिंचाई सुविधाओं को और सुदृढ़ किया जाएगा और कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी।
जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट ने बताया कि केन नदी पर दौधन बांध, लिंक नहर और अन्य कार्य प्रस्तावित हैं। इस परियोजना के माध्यम से मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के में माइक्रो इरिगेशन तकनीक से 4.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा मिलेगी।
इसके अलावा, बेतवा कछार में विदिशा, रायसेन, सागर, शिवपुरी और दतिया जिलों में 2.06 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई और उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के बांदा, महोबा और झांसी जिलों में सिंचाई व पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा। इस परियोजना से 103 मेगावाट जल विद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा। परियोजना के द्वितीय चरण के तहत बेतवा कछार में तीन परियोजनाएं प्रस्तावित हैं: बीना परिसर, कोटा बैराज और लोअर ओर परियोजना। इन परियोजनाओं से 66.7 मिलियन घन मीटर पेयजल और उद्योगों के लिए जल उपलब्ध कराया जाएगा।
पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना: पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना के लिए मध्यप्रदेश, राजस्थान और केंद्र सरकार के बीच त्रिपक्षीय समझौता हुआ है। इस परियोजना से प्रदेश के 10 जिलों को लाभ मिलेगा।
नई परियोजनाओं से सिंचाई क्षमता में वृद्धि: नर्मदा घाटी की प्रस्तावित परियोजनाओं और अन्य महत्वाकांक्षी योजनाओं से प्रदेश में 19.25 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षमता विकसित होगी। ड्रॉप, मोर क्रॉप के तहत 133 प्रेशराइज्ड सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली आधारित परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। चितरंगी दाबयुक्त सूक्ष्म सिंचाई परियोजना (लागत: 1,320 करोड़ रुपये) से सिंगरौली जिले में 32,125 हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र विकसित होगा। जावद-नीमच दाबयुक्त सूक्ष्म सिंचाई परियोजना (लागत: 4,197 करोड़ रुपये) से नीमच जिले में 18,600 हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित होगा।