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मध्यप्रदेश में स्टार्ट-अप्स को नई रफ्तार, युवाओं को मिलेंगे नए अवसर

मध्यप्रदेश में स्टार्टअप्स की नई लहर
मध्यप्रदेश में स्टार्टअप्स की नई लहर

एमपी के मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के औद्योगिक विकास और रोजगार सृजन के विजन के तहत मध्यप्रदेश तेजी से एक मजबूत स्टार्ट-अप हब के रूप में उभर रहा है। प्रदेश सरकार नवाचार, उद्यमिता और रोजगार सृजन को प्राथमिकता देते हुए युवा उद्यमियों की आकांक्षाओं के अनुरूप स्टार्ट-अप कल्चर विकसित करने के लिए प्रभावी रणनीति अपना रही है।

भोपाल में आयोजित होगी 24-25 फरवरी को ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट:

आगामी 24 और 25 फरवरी को भोपाल में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट आयोजित की जाएगी, जो कई मायनों में खास होगी। इस समिट में विभिन्न देशों के उद्यमी और निवेशक शामिल होंगे, जिससे प्रदेश के युवा उद्यमियों को अंतरराष्ट्रीय तकनीक और नवाचारों की जानकारी मिलेगी और मध्यप्रदेश के स्टार्ट-अप्स को नई ऊंचाइयां छूने का अवसर मिलेगा।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि स्टार्ट-अप्स प्रदेश के आर्थिक विकास में योगदान देने के साथ-साथ युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित करेंगे। सरकार वित्तीय सहायता, मजबूत नीतिगत ढांचा और आधुनिक बुनियादी ढांचे की सुविधाएं उपलब्ध करवा रही है, जिससे नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और प्रदेश के युवा उद्यमी अपने सपनों को साकार कर सकेंगे।

कृषि क्षेत्र में स्टार्ट-अप्स को 200 प्रतिशत तक बढ़ावा देने का लक्ष्य:

मध्यप्रदेश सरकार की स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता के चलते प्रदेश में अब तक 4,900 से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप्स कार्यरत हैं। सरकार ने आईटी, सेमीकंडक्टर, टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल और सोलर जैसे विभिन्न क्षेत्रों में विशेष औद्योगिक पार्क विकसित किए हैं, जो स्टार्ट-अप्स के अनुकूल माहौल प्रदान कर रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि ‘स्टार्ट-अप इंडिया’ के तहत पंजीकृत स्टार्ट-अप्स की संख्या को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने और कृषि एवं खाद्य क्षेत्र में स्टार्ट-अप्स को 200 प्रतिशत तक बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए प्रदेश में 72 इनक्यूबेटर कार्यरत हैं और उत्पाद-आधारित स्टार्ट-अप्स को बढ़ाने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं।

स्टार्ट-अप्स के लिए विशेष वित्तीय सहायता और प्रोत्साहन योजनाएं:

  1. महिला, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों को पहले निवेश पर 18% (अधिकतम ₹18 लाख) तक की वित्तीय सहायता।
  2. अन्य स्टार्ट-अप्स को पहले निवेश पर 15% (अधिकतम ₹15 लाख) तक की सहायता।
  3. स्टार्ट-अप्स द्वारा आयोजित कार्यक्रमों के लिए ₹5 लाख प्रति इवेंट (अधिकतम ₹20 लाख प्रति वर्ष) तक की सहायता।
  4. इनक्यूबेटर्स के विस्तार के लिए एक बार में ₹5 लाख का अनुदान।
  5. स्टार्ट-अप्स के किराए का 50% (अधिकतम ₹5,000 प्रति माह, तीन वर्षों तक) प्रतिपूर्ति।
  6. पेटेंट कराने की लागत के लिए अधिकतम ₹5 लाख तक की सहायता।
  7. घरेलू और अंतरराष्ट्रीय इवेंट्स में भाग लेने पर 75% तक खर्च की प्रतिपूर्ति (₹50,000 तक घरेलू इवेंट्स और ₹1.5 लाख तक अंतरराष्ट्रीय इवेंट्स के लिए)।
  8. स्टार्ट-अप्स के लिए लाइसेंस फीस में छूट और लॉजिस्टिक्स सपोर्ट।

मध्यप्रदेश बनेगा भारत का अग्रणी स्टार्ट-अप हब: प्रदेश सरकार के ठोस प्रयासों से मध्यप्रदेश जल्द ही भारत के प्रमुख स्टार्ट-अप हब में शामिल होगा। सरकार द्वारा नवाचार, वित्तीय सहयोग और आधुनिक बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने से युवा उद्यमियों के लिए अवसरों के नए द्वार खुलेंगे, जिससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिलेगी।

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