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सौर ऊर्जा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश अपनी विशेष पहचान बना रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि सोलर प्रोजेक्ट की स्थापना के लिये मध्यप्रदेश उद्योगपतियों की पहली पसंद बनता जा रहा है। गाँधी नगर में आयोजित चौथे ग्लोबल मीट रिन्यूएबल एनर्जी में उद्योगपतियों ने एमपी में प्रोजेक्ट लगाने में रुचि दिखाई। मध्यप्रदेश में संचालित होने वाले सोलर प्रोजेक्ट्स के रूप में “लंग्स ऑफ इन्क्रेडिबल इण्डिया’’ बनने के विज़न की ओर अग्रसर है।
सरकार मध्यप्रदेश में रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में निरंतर कार्य कर रही है। ओंकारेश्वर में विश्व का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट तैयार हो रहा है। रीवा के 1590 हेक्टेयर क्षेत्र में स्थापित विश्व के सबसे बड़े सिंगल साइड सोलर प्लांट में से एक है। अब एमपी और यूपी में 8 हजार मेगावॉट सोलर एनर्जी जनरेशन के ज्वाइंट एडवेंचर परियोजना को सहमति दी गई है। इसमें शिवपुरी, मुरैना, सागर, और धार में सोलर प्रोजेक्ट स्थापित किये जायेंगे, जिससे बिजली का उपयोग दोनों राज्यों में सिंचाई के लिये किया जा सकेगा।
मध्यप्रदेश में वर्तमान में 7 हजार मेगावॉट सोलर एनर्जी जनरेट की जा रही है। कुल ऊर्जा क्षमता में रिन्यूएबल एनर्जी की हिस्सेदारी 21 प्रतिशत हो गई है। वर्ष 2012 में मात्र 500 मेगावॉट सोलर एनर्जी की क्षमता थी। प्रदेश ने मात्र 12 वर्ष की अवधि में सोलर एनर्जी के क्षेत्र में 14 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। राज्य सरकार साल 2030 तक इसमें इजाफा कर 20 हजार मेगावॉट के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में लगातार कार्य कर रही है।
गाँधी नगर में हुई चौथी ग्लोबल रिन्यूएबल एनर्जी इन्वेस्टर समिट में मुख्यमंत्री डॉ. यादव के साथ उद्योगपतियों ने वन-टू-वन चर्चा की। अवाडा ग्रुप ने प्रदेश में 5 हजार करोड़ रुपये के निवेश संबंधी प्रस्ताव दिये। रिन्यू पॉवर ने भी प्रदेश में 6 हजार करोड़ रुपये निवेश करने की रुचि दिखाई। वन-टू-वन चर्चा में विण्ड पॉवर एसोसिएशन, हीरो फ्यूचर एनर्जी, टोरेंट पॉवर, शक्ति पम्प्स, सिंगापुर की सेम्बकॉर्प, वारी एनर्जी, सेरेंटिका, शेल ग्रुप सुजलान, वेलस्पन, वेना एनर्जी, ब्ल्यू लीफ बोरोसिल ग्रुप, स्टेट क्रॉफ्ट के अधिकारियों ने मध्यप्रदेश में रुचि दिखाई है।