अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा ने कहा कि मध्यप्रदेश भारत के $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य में अपनी पूरी प्रतिबद्धता के साथ योगदान देने के लिए तैयार है। राज्य की रणनीतिक भौगोलिक स्थिति, प्रचुर प्राकृतिक संसाधन और प्रगतिशील प्रशासन उसे इस राष्ट्रीय दृष्टिकोण में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए सक्षम बनाते हैं। उन्होंने कहा कि "ईज ऑफ डूइंग बिजनेस" नीति ने निवेशकों का विश्वास बढ़ाया है, जो राज्य की नीतियों और बुनियादी ढांचे में उनकी निवेश क्षमता को दर्शाता है। मध्यप्रदेश विश्वस्तरीय सोलर पावर परियोजनाओं के साथ ग्रीन ऊर्जा के उपयोग में अग्रणी है। इसके अलावा राज्य आईटी, वस्त्र, रसायन, फार्मा, एग्रीटेक, खाद्य प्रसंस्करण और खनन क्षेत्रों में भी नेतृत्व कर रहा है।
अपर मुख्य सचिव सूचना एवं प्रौद्योगिकी श्री संजय दुबे ने कहा कि भारत में डिजिटल और तकनीकी नवाचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। भारत में प्रतिदिन 550 मिलियन डिजिटल ट्रांजैक्शन होते हैं। मध्यप्रदेश से लगभग डेढ़ लाख टेक्नोलॉजी कर्मचारी हैं, जो भारत की तकनीकी प्रगति को सशक्त बना रहे हैं। श्री दुबे ने कहा कि राज्य आईटी क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है और मध्यप्रदेश भारत के प्रमुख एआई हब के रूप में उभर रहा है।
भारत के टियर 2 शहर, जैसे भोपाल और इंदौर, आईटी के क्षेत्र में प्रमुख केंद्र बनकर उभर रहे हैं। राज्य सरकार की नीतियां जैसे आईटी, आईटीएस, ईएसडीएम पॉलिसी और स्टार्ट-अप पॉलिसी इस विकास को बढ़ावा दे रही हैं। राज्य में एवीजीसी नीति लागू की जा रही है और जीसीसी पॉलिसी की तैयारी भी चल रही है। मध्यप्रदेश में निवेशकों के लिए आकर्षक वित्तीय और गैर-वित्तीय प्रोत्साहन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
ये भी पढें... मध्यप्रदेश के 19 जिलों में बनेंगे जनजातीय ग्रामीण हाट बाजार, विकास कार्यों के लिए तय हुए 6 सेक्टर्स
प्रमुख सचिव औद्योगिक नीति एवं निवेश संवर्धन श्री राघवेन्द्र सिंह ने बताया कि मध्यप्रदेश प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध होने के साथ-साथ आधारभूत सुविधाओं में भी लगातार प्रगति कर रहा है। मध्यप्रदेश भारत का गेहूं का सबसे बड़ा निर्यातक राज्य है और हीरा, तांबा और मैग्नीज का प्रमुख उत्पादक भी है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में मध्यप्रदेश से जर्मनी को 162 मिलियन डॉलर का निर्यात हुआ, जिसमें टेक्सटाइल, कृषि, ऑटोमोबाइल, जैविक, यौगिक और प्लास्टिक जैसे क्षेत्रों का योगदान है। राज्य में 300 से अधिक बड़े और एमएसएमई औद्योगिक क्षेत्र हैं और यहां 43 प्रतिशत कार्यशील जनसंख्या कार्यरत है। वर्तमान में 1700 से अधिक जर्मन कंपनियां भारत में और 200 से अधिक भारतीय कंपनियां जर्मनी में कार्यरत हैं। दोनों देशों के बीच 26.06 बिलियन डॉलर का व्यापार भारत और जर्मनी के मजबूत आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को प्रमाणित करता है।
एमएसएमई और स्टार्ट-अप क्षेत्र में तेजी से विकास: मध्यप्रदेश में एमएसएमई और स्टार्ट-अप ईको-सिस्टम तेजी से विकसित हो रहा है। राज्य में 1.40 मिलियन एमएसएमई स्थापित हैं, जो लगभग 7.3 मिलियन लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं। यहां 2200 से अधिक महिलाएं स्टार्ट-अप का नेतृत्व कर रही हैं और 300 से अधिक फार्मा कंपनियां 160 से अधिक देशों में दवाइयों का निर्यात करती हैं।
ये भी पढें... चिकित्सा, उद्योग से लेकर एग्रीकल्चर सेक्टर तक लोगों ने दिखाई रुचि, 60 हजार करोड़ रूपये का निवेश प्रस्तावित